पटना: आखिरकार उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू का दामन छोड़ दिया और नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल के गठन का ऐलान भी कर दिया। इस दौरान उन्होने नीतीश कुमार और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ललन सिंह पर जमकर निशाना साधा। उन्होने कहा कि नीतीश कुमार पड़ोसी के घर में अपना उत्तराधिकारी तलाश रहे हैं।
कुशवाहा ने आरजेडी के साथ गठबंधन करने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि नीतीश कुमार की राजनीति का अंत बुरा है। उन्होने कहा कि आज से मैं नई राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहा हूं। वहीं अब इस पर बीजेपी की प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर नीतीश कुमार को घेरा है। और उनपर उपेंद्र कुशवाहा को कई बार ठगने का आरोप मढ़ा है।
निखिल आनंद ने ट्वीट कर लिखा, नीतीशजी ने उपेंद्र कुशवाहा को ठग राज्यसभा भेजा। उपेंद्र जी ने इस्तीफा देकर #रालोसपा का गठन किया। नीतीशजी ने उपेन्द्रजी को फिर ठगा तो विधान परिषद भेजा। उपेंद्रजी ने फिर इस्तीफा देकर #रालोजद बनाया। उपेंद्रजी स्पष्टत: नीतीश-ललन से ज्यादा बड़े वैचारिक-नैतिक मूल्य वाले समाजवादी हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कुशवाहा की नई पार्टी बीजेपी रालोजद के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में शामिल हो सकती है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी को 2 सीट मिलने की चर्चा भी चल रही है। इससे पहले एनडीए में रहकर उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी यानी रालोसपा जब चुनाव लड़ी थी। तब उसे लड़ने के लिए गठबंधन में तीन सीटें मिली थीं।
इससे पहले दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे थे। कि वो जल्द बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू छोड़ नई पार्टी के गठन का ऐलान कर दिया है। उपेंद्र कुशवाहा 2024 का लोकसभा चुनाव काराकाट सीट से लड़ना चाहते हैं। 2014 में एनडीए के सहयोग से इसी सीट पर जीत दर्ज कर वह लोकसभा पहुंचे थे। लेकिन 2019 में बीजेपी से अलग रहते हुए उनकी हार हो गई। ऐसे में एक बार फिर उनकी पार्टी 2025 में बीजेपी की सहयोगी बन सकती है।
आपको बता दें यह पहला मौका नहीं है, जब उपेंद्र ने नीतीश कुमार का साथ छोड़ा है। इससे पहले वे 2005 और 2013 में नीतीश का साथ छोड़कर अपनी पार्टी का गठन कर चुके हैं। हालांकि, इस दौरान कुशवाहा बिहार की राजनीति में कोई खास छाप नहीं छोड़ सके। ऐसे में दोनों बार उन्हें लौटकर नीतीश के शरण में ही आना पड़ा। 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू का रुख कियाष उन्होंने अपनी पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय करा दिया। उन्हें जदयू के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया थाष उन्हें बिहार विधान परिषद का सदस्य भी बनाया गया। लेकिन अब फिर उनका मोहभंग हो गया। उन्होंने नीतीश की पार्टी को गुडबाय कह दिया है।
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