पटना: लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्ष का प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने का सपना देख रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उम्मीदों को झटका लगा है। तेलंगाना में केसीआर ने अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, पिनरई विजयन सरीखे विपक्षी दलों को बुलाकर मोर्चेबंदी शुरू कर दी है, जबकि नीतीश को इससे अलग रखा गया है। कांग्रेस भी उन्हें पीएम कैंडिडेट मानने से सहमत नहीं होने वाली है। बीजेपी का साथ छोड़ आरजेडी संग बिहार में सरकार बनाने के बाद नीतीश ने विपक्षी एकजुटता की मुहिम शुरू की और तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। ऐसे में उनके सामने चारों तरफ से मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि अब नीतीश कुमार क्या करेंगे?
सीएम नीतीश ने अगस्त 2022 में एनडीए छोड़ बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाई। इसके बाद उन्होंने ऐलान किया था कि वे लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करेंगे। जेडीयू के साथ-साथ आरजेडी के नेता-कार्यकर्ता उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने लगे। लगे हाथ आरजेडी ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का दबाव बनाया। इसके बाद खुद नीतीश ने यह ऐलान किया कि 2025 में बिहार विधानसभा का चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
इशारा साफ था, नीतीश बिहार की सत्ता तेजस्वी को सौंपेंगे और खुद राष्ट्रीय राजनीति का रुख करेंगे। पिछले साल पटना में तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर से उनकी मुलाकात हुई थी और दोनों के बीच बीजेपी विरोधी मोर्चेबंदी पर सहमति भी बनी। बाद में नीतीश कुमार ने दिल्ली में सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल, शरद यादव समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की। हालांकि, मोर्चेबंदी पर बात नहीं बन पाई और नीतीश की विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम ठंडे बस्ते में चली गई।
नीतीश से आगे निकले केसीआर, एक साथ कई नेताओं को मंच पर लाए
विपक्षी दलों को एकजुट करने की मुहिम में नीतीश कुमार तेलंगाना के सीएम केसीआर से पीछे हैं। केसीआर ने बुधवार को खम्मम में विशाल रैली आयोजित की। उसमें AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, पंजाब के सीएम भगवंत मान और लेफ्ट पार्टियों के नेता शामिल हुए। इस रैली में नीतीश कुमार को न्योता तक नहीं दिया गया। केसीआर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों (कांग्रेस के अलावा) के नेताओं को एक मंच पर लाने में सफल हुए। दूसरी ओर, नीतीश ने अभी तक ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं किया है, जिसमें इतने सारे विपक्षी नेता इकट्ठा हुए हों।
पीएम कैंडिडेट पर नहीं बन रही बात?
केसीआर के नेतृत्व में हुई विपक्षी नेताओं की रैली में नीतीश कुमार को न बुलाने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार खुद को मजबूत पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं, जो कि अन्य दलों को पच नहीं रही है। अरविंद केजरीवाल, केसीआर, ममता बनर्जी सरीखे नेताओं की भी अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। इस कारण वे नीतीश कुमार को साइडलाइन कर नया गठबंधन बनाने में जुटे हैं।
कांग्रेस से भी नहीं बनेगी बात?
नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का बिहार में आरजेडी, कांग्रेस और अन्य दलों के साथ गठबंधन है। हालांकि, आगामी लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर नीतीश का कांग्रेस के साथ गठबंधन हो, यह जरूरी नहीं है। विपक्षी एकजुटता मुहिम के तहत पिछले साल नीतीश कुमार ने दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। हालांकि, सोनिया ने बाद में इस पर विचार करने की बात कही थी।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस खुद राहुल गांधी को पीएम पद के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है। ऐसे में नीतीश कुमार की उम्मीदवारी से वह समहत नहीं है। बिहार कांग्रेस के नेता भी समय-समय पर कह चुके हैं कि 2024 में विपक्ष की ओर से पीएम के उम्मीदवार राहुल गांधी ही होंगे। ऐसे में जेडीयू और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे को लेकर बात अटक सकती है।
अब क्या करेंगे नीतीश कुमार?
नीतीश कुमार फिलहाल बिहार में समाधान यात्रा निकाल रहे हैं। गुरुवार को जब उनसे पत्रकारों ने 2024 चुनाव को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि फरवरी-मार्च के बाद वे फिर से विपक्षी दलों के नेताओं से बात करेंगे। देश की यात्रा पर भी निकल सकते हैं। केसीआर की रैली में न बुलाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। जिन्हें बुलाया वो गए होंगे।
2024 की बात नहीं बनी तो 2025 में क्या होगा
ऐसे में अब सवाल ये उठ रहा है कि अगर नीतीश कुमार 2024 चुनाव में विपक्षी दलों को एकजुट नहीं कर पाते हैं और उनका राष्ट्रीय राजनिति में जाने का सपना पूरा नहीं होता है तो वे क्या करेंगे। क्योंकि वे खुद तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं और 2025 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी ही होंगे। चर्चा ये भी है कि अगर नीतीश का 2024 का प्लान सफल नहीं हुआ तो, वे सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ने वाले हैं। ऐसे में आरजेडी और जेडीयू के बीच तकरार बढ़ सकती है। दूसरी ओर, बीजेपी साफ कह चुकी है कि अब वह नीतीश को एनडीए में शामिल नहीं करेगी।
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