मुजफ्फरपुर: स्मार्ट सिटी के तहत नाला निर्माण के रूट में दो जगह डीएम आवास मोड़ व लक्ष्मी चौक पर स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल लाइट का डिस्ट्रीब्यूशन पोस्ट (डीपी) बना दिया गया है। इस कारण दो माह से नाला निर्माण रुका हुआ है। अब नाला बनाने के लिए ट्रैफिक सिग्नल लाइट व इसका डीपी बॉक्स तोड़कर हटाना होगा। यदि इसे तोड़कर नहीं हटाया गया तो नाले का आउटलेट कनेक्शन नहीं होगा। इससे इलाके में जलजमाव की समस्या बनी रहेगी।
स्मार्ट सिटी की दोनों योजनाओं पर अलग-अलग कंपनी काम करा रही है। अब दोनों कंपनी के प्रतिनिधि इसको लेकर आमने-सामने हैं। नाला बनाने वाली कंपनी ट्रैफिक सिग्नल तोड़ने के लिए कह रही है। वहीं, ट्रैफिक सिग्नल लगाने वाली कंपनी का कहना है कि बनाने, तोड़ने और फिर से निर्माण करने का खर्च कौन देगा। बुधवार को दोनों कंपनियों ने स्मार्ट सिटी के एमडी नवीन कुमार के समक्ष इस मुद्दे को उठाया। दोनों जगह ट्रैफिक सिग्नल तोड़कर हटाने पर 20 लाख रुपये बर्बाद होंगे। साथ ही स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल तय समय पर चालू नहीं हो पाएगा। एमडी ने इस सुलझाने के लिए दोनों योजनाओं की निर्माण कंपनी के प्रतिनिधियों व प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कमेटी (पीएमसी) के इंजीनियरों को तलब किया है।
मालूम हो कि इस तरह की समस्या उत्पन्न नहीं हो और सभी योजनाओं के डिजाइन व एस्टीमेट बनाने के लिए स्मार्ट सिटी की पीएमसी को मॉनिटरिंग करनी है। अब इस तरह की समस्या उत्पन्न होने से मॉनिटरिंग कर रहे इंजीनियरों पर सवाल उठ रहे हैं।
मॉनिटरिंग के लिए पीएमसी को करोड़ों का भुगतान :
स्मार्ट सिटी के कामों की तकनीकी देखरेख और मॉनिटरिंग के लिए पीएमसी को अबतक दो करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। अभी पेमेंट में देरी होने पर पीएमसी ने बैरिया में इंटीग्रेटेड बस टर्मिनल निर्माण में पेच फंसा दिया था। इसके बाद एमडी ने सख्त रुख अपनाया था।
निर्माण कंपनियों में समन्वय का अभाव :
पहले भी कई बार शहर में काम करा रहे अलग-अलग सरकारी विभागों के बीच समन्वय के अभाव का मुद्दा उठ चुका है। पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने विभागों में समन्वय के लिए जिला स्तर पर कमेटी बनाने का भी निर्णय लिया था। जब स्मार्ट सिटी का काम शुरू हुआ, तब कहा गया था कि इस तरह की समस्या काम में नहीं होगी।
Be First to Comment