पटना: फ’र्जी फार्मासिस्ट को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। इसके लिए कोर्ट ने फार्मेसी काउंसिल और राज्य सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर अस्पताल या किसी मेडिकल स्टोर रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट के जगह फ’र्जी फार्मासिस्ट द्वारा चलाए जा रहे हैं तो ये देखना फार्मेसी काउंसिल और राज्य सरकार का काम है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने पटना उच्च न्यायालय के समक्ष दायर जनहित याचिका को बहाल किया है, जिसमें कहा गया है कि किसी भी रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की गैर मौजूदगी में अगर अस्पताल/डिस्पेंसरी फर्जी फार्मासिस्ट द्वारा चलाया जा रहा है तो इससे लोगों का हेल्थ ख़राब होगा।
दरअसल, एक शख्स ने पिछले दिनों पटना हाई कोर्ट एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि कई सरकारी हॉस्पिटल ऐसे हैं, जिसे रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट के जगह फ़र्ज़ी फार्मासिस्ट चला रहे हैं। अदालत ने उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह बिहार राज्य और बिहार राज्य फार्मेसी परिषद से ऐसे सरकारी अस्पतालों, मेडिकल स्टोर और प्राइवेट हॉस्पिटल्स की लिस्ट मांगे जो फ’र्जी फार्मासिस्ट द्वारा चलाया जा रहा है।
साथ ही ये सवाल पुछा गया है कि क्या बिहार राज्य फार्मेसी परिषद द्वारा प्रस्तुत तथ्यान्वेषी समिति की रिपोर्ट, जिसे राज्य सरकार को भेजा जाना था, पर राज्य सरकार द्वारा कोई कार्रवाई की गई है? याचिका में लगे आ’रोप में अगर कोई ऐसा फ़’र्ज़ी फार्मासिस्ट है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाए।
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