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एक बार फिर नीतीश के सामने तेजस्वी का सरेंडर: मनोज कुशवाहा होंगे उम्मीदवार

मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव में जेडीयू अपना उम्मीदवार उतारेगी. ये सीट राजद के विधायक अनिल सहनी के धो’खाधड़ी के एक मामले में सजायाफ्ता होने से खाली हुई है. राजद ने अपनी सीटिंग सीट जेडीयू के लिए छोड़ दी है. जेडीयू ने इस उपचुनाव में पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है.

बिहार चुनावः ट्रस्ट कैपिटल के मामले में कहाँ हैं नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव- नज़रिया - BBC News हिंदी

जेडीयू ऑफिस में महागठबंधन की पार्टियों के साझा प्रेस कांफ्रेंस में ये एलान किया गया. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि ये सीट राजद की थी लेकिन तेजस्वी यादव ने हमलोगों के आग्रह पर ये सीट हमारे लिए छोड़ दिया है. गठबंधन का मतलब होता है कि बिना स्वार्थ की राजनीति की जाए और राजद ने उसकी मिसाल पेश की है.

प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि नीतीश कुमार ने राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से आग्रह किया था कि कुढ़नी सीट जेडीयू को दे दी जाये. नीतीश कुमार के आग्रह के बाद लालू प्रसाद यादव ने महागठबंधन के सारी पार्टियों से विचार करने के बाद ये फैसला लिया है कि कुढ़नी सीट जेडीयू को दे दी जाये. अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि कुढ़नी चुनाव को महागठबंधन की पार्टियां एकजुट होकर लड़ेंगी।

तेजस्वी का सरेंडर

उधर, राजद नेताओं का बड़ा वर्ग लालू-तेजस्वी के फैसले से हैरान है. बिहार में तीन महीने हुए जब राजद और जेडीयू का गठबंधन हुआ था. इस बीच तेजस्वी यादव लगातार नीतीश के सामने सरेंडर होते दिखे हैं. नीतीश कुमार के कारण राजद के मंत्री सुधाकर सिंह को जाना पड़ा. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पिछले डेढ़ महीने से प्रदेश कार्यालय नहीं जा रहे हैं और ना ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. उन्हें भी नीतीश कुमार की नाराजगी के डर से साइडलाइन किये जाने की चर्चा है. राजद के किसी नेता को नीतीश कुमार के साथ साथ नीतीश के किसी फैसले पर कोई भी टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया गया है.

ये सब तब हो रहा है जब राजद बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है. विधानसभा में कांग्रेस और वाम दलों के साथ उसके गठबंधन को बहुमत से सिर्फ कुछ विधायक ही कम हैं. कुछ दिनों पहले हुए उपचुनाव का रिजल्ट भी बताता है कि नीतीश कुमार के साथ आने से राजद को कोई खास फायदा नहीं हुआ. इसके बावजूद अगर राजद लगातार सरेंडर करती जा रही है तो पार्टी के नेता कार्यकर्ता हैरान हैं.

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