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बिहारः ब्रिटेन की ‘मिस मफेट’ बनी जमालपुर रेल कारखाने की धरोहर, जानिए मिस मफेट को

ब्रिटेन में बनी सबसे छोटी भाप इंजन मिस मफेट को जमालपुर रेल कारखाने का धरोहर घोषित कर दिया गया है। जमालपुर रेल कारखाने के इंजीनियर ने 1928 में ब्रिटेन से इंपोर्ट की गई इस भाप इंजन को अपनी मेहनत से फिर से चलने लायक बनाया और अब यह हेरिटेज इंजन बन गई है।

बिहारः ब्रिटेन की ‘मिस मफेट’ बनी जमालपुर रेल कारखाने की धरोहर, जानिए मिस मफेट को

रेलवे बोर्ड या जोनल मुख्यालय के अधिकारी इससे अवगत हो गए हैं और जब भी कोई अधिकारी निरीक्षण के लिए जमालपुर आते हैं तो एक बार इस ईंजन से जुड़ी इंस्पेक्शन कार की सवारी शौक से करते हैं। योजना यह भी बनी है कि इस हेरिटेज इंजन को जमालपुर के गोल्फ ग्राउंड में रखकर चलाया जाय, ताकि आमलोग भी इसको देख सकें। हालांकि इस योजना पर अभी काम नहीं हुआ है।

जमालपुर रेल कारखाने के एक वरीय अधिकारी बताते हैं कि ‘मिस मफेट’ रेल इंजन को ब्रिटेन एमएस कैम्मेल एंड लैर्ड कंपनी से 1928 में इंपोर्ट किया गया था। यह इंडस्ट्रियल संटिंग लोकोमोटिव था। यह ब्रॉड गेज पर चलने वाली चार पहिये वाली इंजन है और इसका दोनों किनारा लगभग एक तरह का दिखता है। इसमें दो सिलेंडर है और ब्यॉलर प्रेशर है। मैकेनिकल ब्रेक मैन्युअल ऑपरेटेड है। 1928 में भारत आने के बाद इस रेल इंजन को कई सालों तक चलाया गया, लेकिन लगभग 1965 में इस इंजन का चलन बंद हो गया। तब इसे जमालपुर रेल कारखाने में रख दिया गया। रखे-रखे इस इंजन के कलपूर्जे जाम हो गए और कबाड़ की तरह रहने लगा, लेकिन 2018 में जब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी जमालपुर दौरे पर आए तो उनकी नजर इस इंजन पर पड़ी। उन्होंने इसके बारे में उत्सुकता से पूछा। रेल कारखाने के अधिकारी बताते हैं कि चेयरमैन ने इस इंजन को फिर से चलने लायक बनाने का चुनौतीपूर्ण काम कारखाना के इंजीनियर को दिया। इस बार पूर्व रेलवे और जमालपुर रेल कारखाने के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों ने इसपर काम शुरू किया और इसको फिर से रेल पटरी पर दौड़ा दिया।

पानी के जहाज से मंगाया गया था इस इंजन को

पुराने रेल कर्मियों ने जमालपुर रेल कारखाना के अधिकारियों को जो जानकारी मिली है उसके अनुसार 1928 में इस भाप इंजन को ब्रिटेन से पानी के जहाज से मंगाया गया था। इसका परिचालन कोलकाता क्षेत्र में हुआ करता था। जब इसका इस्तेमाल बंद हुआ तो इसे जमालपुर रेल कारखाना में लाकर रख दिया गया।

मिस मफेट रेल इंजन को ब्रिटेन एमएस कैम्मेल एंड लैर्ड कंपनी से 1928 में इंपोर्ट किया गया था। यह इंडस्ट्रियल संटिंग लोकोमोटिव था। यह ब्रॉड गेज पर चलने वाली चार पहिये वाली इंजन है और इसका दोनों किनारा लगभग एक तरह का दिखता है। इसमें दो सिलेंडर है और ब्यॉलर प्रेशर है। इसमें 280 गैलन क्षमता के दो वाटर टैंक हैं।

कहते हैं अधिकारी

जमालपुर रेल कारखाने के इंजीनियर ने हैरिटेज इंजन मिस मफेट को फिर से जीवित किया है। आमलोगों को देखने के लिए सुविधाएं हो इसपर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। वरीय अधिकारियों के ध्यानार्थ में यह मामला लाया जाएगा।

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