केंद्र सरकार के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर बैन लगाने के बाद बिहार की सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत है तो वे बिहार में आरएसएस पर बैन लगाएं। वे अपने वोट बैंक के लिए पीएफआई का बचाव कर रहे हैं। इससे पहले लालू ने कहा था कि पीएफआई की तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन (आरएसएस) जैसे संगठनों पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए।
सुशील मोदी ने बुधवार को कहा कि 2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने में लगा संगठन पीएफआई धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है। कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू जैसे नकली धर्मनिरपेक्ष दल पीएफआई को पॉलिटिकल कवर दे रहे हैं। नीतीश सरकार फुलवारीशरीफ मामले की जांच एनआईए को नहीं सौपना चाहती थी। लालू प्रसाद आतंकी संगठन के लोगों का मजहब देख कर वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि महागठबंधन के नेता प्रतिबंधित पीएफआई को पॉलिटिकल कवर देने के लिए इसकी तुलना आरएसएस जैसे देशभक्त और अनुशासित संगठन से कर रहे हैं। 12 जुलाई को फुलवारीशरीफ में एनआईए के छापे से पीएफआई के आतंकी नेटवर्क और 2047 तक भारत की धर्मनिरपेक्षता को कुचलकर इसे मुस्लिम राष्ट्र बनाने के हिंसक इरादों की जानकारी मिली थी। इतने गंभीर मामले की जांच नीतीश सरकार एनआईए को नहीं सौंपना चाहती थी। उसे अपना “वोट बैंक” बचाना देश की सुरक्षा और धर्मनिरपेक्षता से ज्यादा जरूरी लग रहा था।
उन्होंने कहा कि आ’तंकवाद पर लालू-नीतीश सरकार के नरम रवैये के कारण बिहार में कई आतं’की मॉड्यूल पनपते रहे। आरजेडी के शिवानंद तिवारी को “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे में कोई देश’द्रोह नहीं दिखता और जेडीयू के ललन सिंह पीएफआई की आतंकी गतिविधियों के सबूत मांग रहे हैं। यही लोग कभी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे थे।
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