जितिया व्रत 18 सितंबर को होगा। 17 सितंबर को नहाय खाय से शुरुआत होगी जबकि 19 सितंबर को पारण होगा। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए जितिया व्रत रखती हैं। इस व्रत से संतान प्राप्ति के साथ दुखों व परेशानियों से उनकी रक्षा होती है। पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है।
इन बातों का रखें ध्यान-
- इस व्रत को रखने से पहले नोनी का साग खाने की भी परंपरा है। कहते हैं कि नोनी के साग में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है। जिसके कारण व्रती के शरीर को पोषक तत्वों की कमी नहीं होती है।
- इस व्रत के पारण के बाद महिलाएं जितिया का लाल रंग का धागा गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं।
- पूजा के दौरान सरसों का तेल और खल चढ़ाया जाता है। व्रत पारण के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाते हैं।
जितिया व्रत पूजा विधि-
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
- स्नान आदि करने के बाद सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराएं।
- धूप, दीप आदि से आरती करें और इसके बाद भोग लगाएं।
- मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं।
- कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें।
- विधि- विधान से पूजा करें और व्रत की कथा अवश्य सुनें।
- व्रत पारण के बाद दान जरूर करें।
Be First to Comment