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किसान की बेटी पर वसूली एजेंट ने चढ़ाया ट्रैक्टर, तीन महीने की गर्भवती थी महिला

निजी फाइनेंस कंपनी से कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदना हजारीबाग के दिव्यांग किसान मिथिलेश मेहता को इतना महंगा पड़ा कि इसकी कीमत उन्हें बेटी की जान देकर चुकानी पड़ी। कंपनी के वसूली एजेंटों ने मिथिलेश की 27 साल की बेटी मोनिका को उसी ट्रैक्टर से कु’चलकर मा’र डाला। बताया जाता है कि मोनिका तीन माह की गर्भवती भी थी। हजारीबाग के इचाक में यह जघ’न्य घट’ना गुरुवार को दिन के साढ़े ग्यारह बजे हुई।

वसूली एजेंट कर्ज की किस्त में देरी पर ट्रैक्टर जब्त करने आए थे। बकाए को लेकर विवा’द के बाद जब’रन ट्रैक्टर ले जाने लगे। बेटी ने रोकना चाहा तो उसी ट्रैक्टर से रौं’द दिया। मिथिलेश ने बताया कि उन्होंने महिंद्रा फाइनेंस से कर्ज लेकर ट्रैक्टर खरीदा था। दो दिन पहले कंपनी की ओर से मैसेज आया कि बकाया किस्त जमा करें। लेकिन मिथिलेश तय तिथि पर नहीं पहुंच पाए।

इसी बीच गुरुवार को ट्रैक्टर पेट्रोल पंप पर खड़ा था। वहां ग्यारह बजे एक कार से चार लोग पहुंचे। उनमें से एक ट्रैक्टर स्टार्ट कर ले जाने लगा। तब एक पेट्रोल पंपकर्मी ने इसकी सूचना दी। इसके बाद वह बकाया रकम लेकर मोनिका के साथ घर से निकले। उन्हें बरियठ के समीप उनका ट्रैक्टर दिखा। मिथिलेश ने उन लोगों को रोका। ट्रैक्टर के पीछे-पीछे चल रही कार भी रुकी। कार से एक शख्स निकला और कहा कि एक लाख 30 हजार रुपये लेकर ऑफिस पहुंचो।

मिथिलेश ने कहा कि मैं रुपए लेकर आया हूं लेकिन आप पहचान बताइये। इस पर उसने खुद को महिंद्रा फाइनेंस का  मैनेजर बताया। तब मिथिलेश ने उससे प्रमाण मांगा। इसके बाद वह शख्स आगबबूला हो गया और ट्रैक्टर बढ़ाने का इशारा किया। मोनिका ने जब रोका तो चालक उसे कुच’लते हुए बढ़ गया। इलाज के लिए रिम्स लाने के दौरान उसकी मौत हो गई। देर शाम उसका यहां पोस्टमार्टम कराया गया।

हजारीबाग के एसपी मनोज रतन चोथे ने कहा, ‘बेहद गंभीर मामला है। इसकी जांच कर आरो’पियों के खि’लाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बिना पुलिस की सूचना के एजेंट वसूली करने कैसे चले जाते हैं, इसकी भी जांच होगी।’

पक्ष देने से बचते रहे महिंद्रा फाइनेंस के मैनेजर

महिंद्रा कंपनी के फाइनेंस मैनेजर रवि कुमार और विकास कुमार से मोबाइल से संपर्क किया गया। रवि कुमार ने कहा कि मैं बाहर हूं। वहीं विकास कुमार ने कहा कि मैं अभी कुछ नहीं जानता। पता लगाकर बताता हूं। हमलोग खुद वसूली नहीं करते। वसूली का जिम्मा स्थानीय एजेंसी के पास होता है। उनसे दुबारा संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया।

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