2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की नई कवायद की धुरी बने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बीजेपी ने त्रिकोणीय राजनीति करने के लिए ललकारा है। बीजेपी को वोटों के ध्रुवीकरण में हमेशा त्रिकोणीय चुनाव में ज्यादा फायदा होता है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पर एक लंबा पोस्ट लिखा है जिसमें उन्होंने नीतीश की दिल्ली यात्रा पर व्यंग्य किया है और गठबंधन बदलने को लेकर जेडीयू नेता को जमकर कोसा है। लेकिन नीतीश की आलोचना करते-करते जायसवाल की जुबां पर एनडीए से महागठबंधन के सीधे चुनावी मुकाबले में बीजेपी को नुकसान का डर सामने आ गया है।
संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार के वापस लालू यादव की आरजेडी के साथ जाने को आत्मसम्मान के साथ जोड़ते हुए कहा कि अपने सामने पैदा हुए बच्चों से चोर, निर्लज्ज, बेशर्म, पलटूराम जैसी उपमा से अलंकृत होने के बाद भी उनके पास जाकर नीतीश ने साबित कर दिया है कि महत्वकांक्षा और लालच के तले उनका आत्मसम्मान रौंदा जा चुका है।
संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट में एक जगह लिखा है- “नीतीश जी को यदि ‘वास्तव’ में भाजपा से कोई दिक्कत होती और उनका आत्मसम्मान जिंदा होता तो उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा को बार-बार तार-तार करने वाले गालीबाजों की गोदी में बैठने के बजाए, संघर्ष का रास्ता चुना होता और आज बिहार त्रिकोणीय राजनीति देख रहा होता। लेकिन बिना मेहनत किए, बैसाखी के सहारे हासिल हुई ‘पॉवर की मलाई’ ने उनके ‘आत्मविश्वास’ को भी लील लिया है।”
इस बयान में बीजेपी की छटपटाहट दिख रही है कि बिहार की राजनीति त्रिकोणीय क्यों नहीं हुई जो चुनावी गणित में उसके लिए फायदेमंद साबित होती है। अगर नीतीश कुमार, लालू यादव अलग-अलग लड़ें तो ये बीजेपी के लिए सबसे अच्छी बात होती है। लेकिन नीतीश, लालू, कांग्रेस, लेफ्ट, हम के महागठबंधन से अगर चुनाव लड़ना पड़ा तो मुकाबला सीधा होगा, ध्रुवीकरण होगा तो भी वोट आमने-सामने पड़ेंगे जिसमें शायद बीजेपी को नुकसान हो सकता है।
इस पोस्ट में संजय जायसवाल ने नीतीश के दिल्ली दौरे पर तंज कसते हुए कहा है कि उनको ठगबंधन के नेताओं ने मिलने का समय तक नहीं दिया तब जेल से आए बड़े भाई के प्रयास से कुछ नेताओं ने उनको मिलने का समय दे दिया।
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