बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का साझा प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने की चर्चाओं के बीच पटना में जेडीयू दफ्तर के बाहर गुरुवार को नया होर्डिंग लग गया है जिसमें एक पर लिखा है- प्रदेश में दिखा, देश में दिखेगा और दूसरे पर लिखा है- आश्वासन नहीं, सुशासन।
पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ नीतीश विपक्ष का चेहरा बनेंगे या नहीं, इस पर जेडीयू का स्टैंड ये है कि नीतीश में प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं लेकिन वो उम्मीदवार नहीं हैं। लेकिन एक पोस्टर जहां पीएम रेस की ओर इशारा कर रहा है तो दूसरा पोस्टर आरजेडी के साथ महागठबंधन सरकार बनाने के बाद से ही बीजेपी के जंगलराज वापसी के आरोपों का जवाब है कि नीतीश हैं तो सुशासन है।
बुधवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पटना आए थे और नीतीश के साथ एक समारोह में शामिल हुए। वहां पत्रकारों से दोनों नेताओं ने कहा कि 2024 के लिए तीसरा मोर्चा नहीं, मेन मोर्चा बनेगा।
हालांकि पीएम कैंडिडेट के सवाल पर केसीआर ने खुलकर कोई बात नहीं की जो इस तरह की कोशिश में गंभीरता के हिसाब से स्वाभाविक है। पत्रकारों के कुरेदने पर भी केसीआर ने कुछ नहीं कहा क्योंकि उनका नीतीश के पक्ष में बोल जाना विपक्षी एकजुटता की उनकी या नीतीश की कोशिशों को धक्का होता।
3 और 4 सितंबर को पटना में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की मीटिंग से पहले लगा ये पोस्टर वो बात कह रहा है जो जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह, पार्टी के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, मंत्री श्रवण कुमार जैसे सीनियर नेता कभी बेलाग और कभी घुमाकर कह रहे हैं। पार्टी दफ्तर पर लगे इस होर्डिंग से अगर कोई इशारा निकाला जाए तो ये अनुमान लगाया जा सकता है कि शनिवार और रविवार को पार्टी की बैठक 2024 के चुनाव को लेकर नीतीश कुमार की भूमिका को साफ कर सकती है।
जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह जिस तरह से सधी हुई बयानबाजी कर रहे हैं उससे ये भी लगता है कि पार्टी फौरी तौर पर नीतीश को पीएम कैंडिडेट जैसी कोई चीज कहने से बचेगी। पार्टी इस बात पर फोकस रखेगी कि 2024 के चुनाव में बीजेपी विरोधी दलों को पूरे देश में एकजुट करने के लिए नीतीश काम करेंगे।
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