बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया है कि उनकी सीबीआई, ईडी जैसी एजेंसी के अधिकारियों से कोई दिक्कत नहीं है। वे बस इन एजेंसियों के पॉलिटिकल कैरेक्टर का विरोध कर रहे हैं।
8 सालों में जांच एजेंसियों को बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार ने राजनीतिक बदले का एक उपकरण बना लिया है। अब तक सीबीआई, ईडी, आईटी विभाग ने सिर्फ विपक्षी नेताओं पर ही छापे मारे, जबकि बीजेपी के सैकड़ों विधायक-सांसदों पर एक भी कार्रवाई नहीं हुई।
तेजस्वी यादव ने बुधवार को एक के बाद एक ट्वीट कर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बीते 8 सालों में जांच एजेंसियों को राजनीतिक प्रतिशोध का एक उपकरण बना दिया है। 8 साल पहले देशवासियों ने इनकी इंटेग्रिटी और कार्यप्रणाली पर इस तरह के सवाल कभी नहीं उठाए थे। अभी हमारा CBI से विरोध इंस्टीट्यूशन से नहीं बल्कि इनकी राजनीति से प्रेरित कार्यप्रणाली से है।
तेजस्वी ने कहा कि जांच एजेंसियां केवल विपक्ष शासित राज्य और वहां के नेताओं पर ‘छापे मारकर’ अपने राजनीतिक मालिकों को प्रसन्न करने की कोशिश करती हैं। बीजेपी के लगभग 300 से ऊपर MP और 1000 से अधिक विधायकों पर इन एजेंसियों द्वारा आज तक कोई रेड नहीं पड़ी। इसलिए इनके पॉलिटिकल कैरेक्टर से हमारा विरोध है।
तेजस्वी बोले- जिस नेता ने बीजेपी ज्वॉइन की, वो पवित्र हो गया
डिप्टी सीएम ने कहा कि बीते 8 सालों में विपक्ष के कई नेताओं पर इसी आईटी /ईडी /सीबीआई के माध्यम से छापे पड़े। ढेर सारे आरोप तय हुए, गोदी मीडिया के माध्यम से चरित्रहनन हुआ लेकिन जैसे ही उन कथित भ्रष्ट विपक्षी नेताओं ने बीजेपी ज्वॉइन की वो पवित्रता का प्रमाण पत्र पा गए। कोई मंत्री बन गया तो कोई मुख्यमंत्री बन गया।
बता दें कि हाल ही में लैंड फॉर जॉब स्कैम में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव के करीबी आरजेडी नेताओं के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। इसके बाद तेजस्वी यादव लगातार सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने बिहार विधानसभा में सीबीआई, ईडी और आईटी को बीजेपी का जमाई तक करार दे दिया था। साथ ही रेलवे में जमीन के बदले नौकरी घोटाले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारियों पर गरीबों से मारपीट के आरोप भी लगाए।
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