मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 13 शहरों के विकास के लिए वर्ष 2012 में शहरी आयोजन एवं विकास अधिनियम पास हुए थे। अधिनियम लागू करने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में जनवरी 2013 में बिहार शहरी आयोजना एवं विकास बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड के नेतृत्व में चयनित शहरों में प्लानिंग एरिया अथाॅरिटी का गठन किया गया। प्लानिंग एरिया भी घोषित हुआ।
मिली जानकारी के मुताबिक, मुजफ्फरपुर का प्लानिंग एरिया 265.71 वर्ग किमी निर्धारित किया गया। इन शहरों का विकास मास्टर प्लान के तहत किया जाना था। कोई भी मकान या निर्माण बिना नक्शा पास कराए नहीं किया जाना था, लेकिन आठ साल बाद भी मास्टर प्लान नहीं बना।
शहर का अनियंत्रित विकास होता रहा। परिणाम यह हुआ कि पहले यहां सड़कों का निर्माण होता है फिर उसे काटकर पानी की पाइप लाइन बिछाई जाती है। पहले नालों का निर्माण किया जाता है फिर उसे तोड़कर सड़क बनाई जाती है। निगम क्षेत्र से सटे प्लानिंग एरिया में बेतरतीब मकान बनते जा रहे हैं। इससे न सिर्फ सरकारी राशि का अपव्यय हो रहा, बल्कि लोगों को समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है।
मुजफ्फरपुर समेत जिन शहरों को प्लानिंग एरिया घोषित की गई थी उनमें पटना, गया, आरा, बिहारशरीफ, बेगुसराय, मुंगेर, पूर्णिया, दरभंगा, छपरा, बोधगया एवं राजगीर शामिल है। आज तक किसी भी शहर का मास्टर प्लान नहीं बना। सब कुछ घोषणाओं और कागजों तक ही सिमटा हुआ है।
उठाये जाने थे कई कदम जैसे तैयार होना था मास्टर प्लान। नक्शे के आधार पर होने थे मकान व अन्य निर्माण। मास्टर प्लान के तहत होना था सड़कों एवं नालियों का निर्माण। खुले स्थान होने थे चिह्नित। जल एवं विद्युत आपूर्ति, स्ट्रीट लाइट, सीवरेज एवं जलनिकासी की करनी थी व्यवस्था। विकसित होनी थी शिशु कक्ष, प्राथमिक विद्यालय, संयुक्त विद्यालय, औषधालय, सामुदायिक भवन, पुस्तकालय एवं बाजार की सुविधा। खेल मैदान, पार्क एवं हरित क्षेत्र का विकास। पुलिस स्टेशन, फायर सर्विस स्टेशन, डाकघर का निर्माण।
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