पुलिस अधिकारियों और जवानों को ट्रेनिंग में ही अनुशासन का पाढ़ पढ़ाया जाता है। वर्दी कैसे पहननी है, कहां और कैसे पेश आना है, सीनियर अधिकारियों से मिलना है तो उसके क्या कायदे-कानून होने चाहिए समेत अन्य बातें सिखाई जाती हैं। पर, इन सब से बेपरवाह होना बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस के 10 सिपाही और हवलदार को भारी पड़ गया। फिलहाल उनसे स्पष्टीकरण पूछा गया है, जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो कार्रवाई भी तय मानी जा रही है।
यह पूरा मामला बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस (बीएसएपी) से जुड़ा है। बीएसएपी-5 के पुलिस मेंस एसोसिएशन के चुनाव से संबंधित मामले में 10 पुलिसकर्मी बीते 23 अप्रैल को सीधे डीजीपी से मिलने उनके कार्यालय पहुंच गए। आरो’प है कि इनमें से किसी पुलिसकर्मी ने वर्दी तक नहीं पहन रखी थी और वे सादे लिबास में थे। उन्होंने डीजीपी से मिलने के लिए अपने बटालियन के कमांडेंट की न तो इजाजत ली और ना ही उन्हें इसकी लिखित या मौखिक सूचना दी थी।
पुलिसकर्मियों के इस अचारण को अत्यंत खेदजनक मानते हुए बीएसएपी-5 के कमांडेंट रमन चौधरी ने सभी को शोकॉज किया है। नियमानुसार इन्हें वरीय पदाधिकारी से मिलने के लिए उचित माध्यम से पहले अनुरोध करना चाहिए था। पर इन्होंने अपने बटालियन के वरीय अधिकारी को इसकी सूचना तक नहीं दी और वरीयताक्रम का उल्लंघन करते हुए सीधे डीजीपी के पास पहुंच गए। इसे मनमानापन, स्वेच्छारिता, आदेश का उल्लंघन, उदंडता और घोर अनुशासनहीनता मानते हुए एक्शन लिया गया है।
बीएसएपी-5 के जिन पुलिसकर्मियों पर नियमों की अनदेखी करने का आरो’प लगा है उनमें हवलदार-चंदन मंडल, चालक हवलदार- ब्रजेश कुमार, हवलदार-अजय कुमार सिंह, हवलदार- सुरेन्द्र सिंह, सिपाही- राजेश कुमार सिंह, सिपाही- उपेन्द्र सिंह, सिपाही- अमित कुमार सिंह, सिपाही- विनोद कुमार, महिला सिपाही- कुमारी कंचन भारती और सिपाही- सुशील कुमार शामिल हैं। स्पष्टीकरण का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो विभागीय जांच होगी। इसमें दोषी पाए जाने पर इन पुलिसकर्मियों को दं’ड दिया जाएगा।
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