मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल के एमसीएच में बने एइएस वार्ड में अब पीएचसी से रेफर होकर बच्चे आयेंगे। इसके लिए दस बेड से अधिक बेड और लगाये जायेंगे। चमकी बुखार के जो संदिग्ध मरीज होंगे, उनमें एइएस है या नहीं, इसकी जांच के लिए पीएचसी से रेफर होकर बच्चे सदर अस्पताल भी लाये जायेंगे। सदर अस्पताल में एइएस के मरीजों की इलेक्ट्रोलाइट्स की जांच के लिए मशीन लगायी गयी है।
डीपीएम ने बताया कि मशीन को चलाने के लिए तकनीशियनों को ट्रेनिंग दी जा रही है। राज्य सरकार ने एइएस प्रभावित सभी जिलों के सदर अस्पताल में इलेक्ट्रोलाइट्स जांच मशीन उपलब्ध कराया है. उन्होंने कहा कि पहले एइएस जांच के लिए सैंपल एसकेएमसीएच भेजा जाता था या बच्चों को रेफर किया जाता था। लेकिन अब मशीन लगने के बाद अब यहीं जांच कर बच्चों का प्रोटोकॉल के तरह इलाज किया जायेगा। इसके लिए बेड भी बढ़ाये गये और रोस्टर से डॉक्टरों व नर्स की ड्यूटी भी लगायी गयी है. दवा भी उपलब्ध करायी गयी है. हर दिन इसकी मॉनीटरिंग की जायेगी।
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में भर्ती पूर्वी चंपारण के केसरिया दिलावरपुर के डेढ़ साल के एक बच्चे में एइएस ही पुष्टि हुई है। उपाधीक्षक सह शिशु विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि दिलावरपुर के रहने वाले प्रशांत कुमार के डेढ़ साल के पुत्र अयांश कुमार में एइएस की पुष्टि हुई है. पीड़ित बच्चे की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गयी है।
पी’ड़ित बच्चे में हाइपोग्लाइसीमिया की पुष्टि हुई है। इस साल अबतक 25 बच्चों में एइएस की पुष्टि हो चुकी है। इनमें 13 केस मुजफ्फरपुर के, चार मोतिहारी, पांच सीतामढ़ी और अररिया, वैशाली व बेतिया के एक-एक केस शामिल हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि बीमार बच्चे का प्राटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा है।
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