मुजफ्फरपुर शहर का विकास एवं शहरवासियों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी नगर निगम की है, लेकिन इससे परे नगर निगम शहर की राजनीति का अ’ड्डा बन गया है। शहर का विकास हाशिए पर है और निगम के जनप्रतिनिधि से अधिकारी, सब ल’ड़ रहे हैं। एक-दूसरे पर आरो’प-प्रत्यारो’प लगा रहे हैं।
बीते पांच माह में नगर निगम विकास का एक भी काम नहीं कर पाया है। इस दौरान नगर निगम बोर्ड की दो बैठकें, 25 दिसंबर 2021 एवं 19 अप्रैल 2022 को हुई, लेकिन दोनों बैठकों में विकास को लेकर चर्चा नहीं हुई बल्कि दोनों बैठकें विवा’दों से घिरी रही।
मिली जानकारी के मुताबिक, निगम के वित्तीय वर्ष 2022-23 का वार्षिक बजट तक पास नहीं हो सका। विकास की दो दर्जन योजनाएं बैठक में पास नहीं हो सकी। नगर निगम सरकार का कार्यकाल का अब 45 दिन शेष बच गया है।इसके ठीक विपरीत शहरवासी समस्याओं से उलझे हैं।
शहर के कई मुहल्ले बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं। कहीं पेयजल संकट की स्थिति है तो कहीं लोग जर्जर सड़कों पर हिचकोले खा रहे हैं। कहीं नाला जाम है तो कहीं कचरे का अंबार लगा है। शहरवासियों को न मच्छरों के दंश से मुक्ति मिली और नहीं सड़क पर खुलेआम विचरण करने वाले पशुओं की मार से।
महापौर ने बयान जारी कर कहा है कि नंद बाबू हमारे अभिभावक है। उन्हें शहर के विकास का साथ देना चाहिए। विरोधी पार्षद उनको ठगने का काम कर रहे हैं। महापौर ने कहा कि नंद कुमार प्रसाद साह एवं पूर्व महापौर सुरेश कुमार तो बैठक में शामिल भी नहीं थे। बावजूद वे बैठक की कमियां गिना रहे हैं।
नगर निगम के 22 पार्षदों द्वारा महापौर ई. राकेश कुमार की बर्खा’स्तगी की मांग के बाद उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला महापौर के पक्ष में मैदान में उतर आए हैं। उन्होंने बयान जारी कर कहा है कि महापौर का विरो’ध कर रहे पार्षदों में से 18 ने बोर्ड की बैठक में नाश्ता किया और अब वे बैठक के औचित्य पर सवाल उठा रहे हैं। महापौर को गलत करार दे रहे हैं। बैठक में हुए फैसलों को गलत बता रहे हैं। बैठक की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। जब यही सब करना था तो नक्शा क्यों किया।
Be First to Comment