मुजफ्फरपुर : घरों से निकलने वाला गंदा पानी हो या बारिश का पानी, फरदो नाला होकर ही शहर से बाहर निकलता है। नाला जाम होने के कारण बारिश का पानी तेजी से नहीं निकल पाता। इससे शहर के आधे से अधिक भाग में जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
शहर के दो दर्जन वार्डों से होकर गुजरने वाले फरदो नाला के दोनों तरफ तीन हजार से अधिक मकान हैं। इन मकानों से निकलने वाले कचरे एवं मलबे को नाले में डाल दिया जाता है, जिससे नाला जाम हो जाता है। नाले की सफाई के लिए दोनों तरफ तीन से पांच फीट जगह छोड़ी गई थी ताकि सफाईकर्मी नियमित सफाई कर सकें, लेकिन इस जगह पर भी मकान मालिकों ने अतिक्रमण कर रखा है। इससे फरदो नाला की नियमित सफाई नहीं हो पाती। नतीजतन शहरवासी जलजमाव का दं’श झेलते हैं।
नगर आयुक्त ने कहा कि सफाई के दौरान नाले से भवन निर्माण के दौरान डाला गया मलबा भारी मात्रा में निकल रहा है। जिन इलाकों में नाले की सफाई कर ली गई है, वहां फिर से लोग अपने घर का कचरा सीधे नाले में फेंक रहे हैं। यदि उन्हें नहीं रोका गया तो नाले का बहाव फिर से बाधि’त हो जाएगा।
तीन हजार लोगों की लाप’रवाही का खामियाजा पूरे शहरवासियों को भुगतना पड़ेगा। जो लोग नाले में कचरा डाल रह हैं, उनको भी जलजमाव का सामना करना पड़ेगा। नाले पर अतिक्रमण करने वालों को चिह्नित कर नोटिस भेजा जा रहा है। उनके खिलाफ कड़ी का’र्रवाई होगी। फरदो नाला के किनारे बने कई मकानों के शौच भी नाले में प्रवाहित किए जाते हैं। यह शहरवासियों की सेहत के साथ खिलवाड़ है।
फरदो नाला का निर्माण वर्ष 1972-73 में हुआ था। उसके बाद कभी फरदो नाला की पूर्ण सफाई नहीं कराई गई। इस कारण नाले में दस फीट तक गाद जमा हो गया था। कई जगह नाले के बीच पेड़ उग जाने के कारण बहाव अवरुद्ध हो गया था। कई जगह लोगों की लापरवाही से नाले की चौड़ाई बीस फीट से घटकर तीन से चार फीट हो गई थी।
नगर निगम बोर्ड की हरी झंडी मिलने के बाद नगर आयुक्त ने निविदा के माध्यम से नाले की सफाई का कार्य एक निजी एजेंसी को दिया है। इस पर 1.80 करोड़ रुपया खर्च होगा। एजेंसी द्वारा आधे नाले की सफाई कर ली गई है। शेष बचे काम को बरसात से पूर्व करना है। इसलिए नगर आयुक्त ने एजेंसी को दिन के साथ-साथ रात में भी काम करने को कहा हैं।
नाले के किनारे बने मकान के मालिक अगर नाले में कूड़ा और मलबा न डालें तो शहर के बड़े हिस्से में जलजमाव नहीं होगा। उनकी लापरवाही से शहरवासियों को परेशानी होती है। वे सहयोग करे तो जलजमाव की परेशानी से निजात मिल सकता है।
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