सोना (GOLD) की कीमत भले तेजी से गिर रही हो, लेकिन विशेषज्ञ कह रहे हैं कि पीली धातु को खरीदने का यही सबसे सही वक्त है. आने वाले समय में सबसे ज्यादा रिटर्न (Bumper Return) सोना ही देने वाला है. वेदांत सिक्यूरिटीज के मालिक ललित कुमार द्विवेदी कहते हैं कि जब-जब वैश्विक मंदी (Global Slowdown) का दौर आया है, सोना (Gold) ने सबसे ज्यादा रिटर्न (Maximum Return) दिया है. इसलिए सोना में निवेश का यह स्वर्णिम अवसर (Golden Time To Invest In Gold) है.
श्री द्विवेदी का कहना है कि जब वैश्विक मंदी आती है, तो सारे स्टॉक्स धड़ाम हो जाते हैं. ऐसे में सोना में निवेश सबसे फायदेमंद साबित होता है, क्योंकि यह कम समय में बेहतरीन रिटर्न देता है. वर्ष 2008 में जब वैश्विक मंदी आयी थी, तो हम सबने देखा था कि कुछ कारणों से सोने की कीमत में लगातार गिरावट दर्ज की गयी. लेकिन, गिरावट ज्यादा दिनों की नहीं रही.
उन्होंने कहा कि जल्द ही सोने की चमक लौटी और उस दौरान गोल्ड ने जितना रिटर्न दिया, उतना रिटर्न किसी स्टॉक से निवेशकों को नहीं मिला. श्री द्विवेदी के मुताबिक, इतिहास खुद को दोहरा रहा है और वर्ष 2008 का दौर वापस आता दिख रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से आज वैश्विक अनिश्चितता का दौर है. बाजार में तेजी से गिर रहा है.
श्री द्विवेदी ने कहा कि सोने की कीमत में भी गिरावट दर्ज की गयी है. लेकिन, यह गिरावट ज्यादा दिनों की नहीं है. उन्होंने कहा कि जब कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर में हाहाकार मचा हुआ है, तेल की कीमतें गिर रही हैं, शेयर मार्केट में तेज गिरावट दर्ज हुई है. कमोडिटीज एक्सचेंज भी कोरोना वायरस की मार से अछूता नहीं रहा. इटीएफ पर भी इसका असर पड़ा है
ललित कुमार द्विवेदी ने साथ ही कहा कि वह दिन दूर नहीं, जब सोने में तेजी लौटेगी और यह निवेशकों को बंपर मुनाफा देगा. उन्होंने कहा कि जब भी वैश्विक अनिश्चतता का दौर आता है, सोना सबसे विश्वसनीय निवेश बन जाता है. इस बार भी ऐसा ही होगा, ऐसी उन्हें उम्मीद है.
श्री द्विवेदी ने कहा कि वर्ष 2008 में हमने देखा था कि जब वैश्विक मंदी आयी थी, तो मुनाफा घटा था और कीमतें शुरू में गिर गयीं थीं. कुछ दिनों बाद जब रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें घटायीं और बाजार में पैसे की तरलता से सोने की कीमतें तेजी से बढ़ीं. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ कह रहे हैं कि शेयर बाजार को संभालने के लिए रिजर्व बैंक को ब्याज दरें घटाने की जरूरत है.
ललित कुमार द्विवेदी ने कहा कि यदि रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की, तो सोने की चमक वैसे ही लौट आयेगी, जैसे वर्ष 2008 की मंदी के दौरान हुआ था. शेयर मार्केट के एक्सपर्ट श्री द्विवेदी ने कहा कि बाजार में गिरावट से निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है. जो लोग धैर्य बनाये रखेंगे, आने वाले दिनों में उन्हें मोटा मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा.
उल्लेखनीय है कि कोरोना के डर से कमोडिटी मार्केट में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही. हालात ये हैं कि अमेरिकी क्रूड 17 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. वहीं, ब्रेंट भी 28 डॉलर के नीचे फिसल गया है. सोना-चांदी में भी दबाव कायम है.
सोने-चांदी पर दबाव कायम
सोने-चांदी में मंगलवार (17 मार्च, 2020) की देर शाम की रिकवरी खत्म हुई. बुधवार (18 मार्च, 2020) को ग्लोबल मार्केट से सोने-चांदी को सपोर्ट नहीं मिला. इंट्रा-डे में कॉमेक्स पर सोना 1500 डॉलर के नीचे फिसल गया. वहीं, कॉमेक्स पर चांदी में 13 डॉलर के नीचे कारोबार कर रही है.
कमजोर इंडस्ट्रियल मांग से चांदी पर भारी दबाव बना हुआ है. निवेशक फिलहाल कैश में रहना पसंद कर रहे हैं. सोने की सेफ हेवन डिमांड नहीं दिख रही है. कोरोना वायरस के कारण बाजार में डर का माहौल बना हुआ है.
क्रूड में कमजोरी कायम
अमेरिकी क्रूड ने 17 साल का निचला स्तर तोड़ दिया है. ब्रेंट क्रूड 28 डॉलर के नीचे फिसल गया है. वहीं, कच्चा तेल 4 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. अब कच्चा तेल का डिमांड आउटलुक खराब चल रहा है. गोल्डमैन सैक्स ने ब्रेंट अनुमान घटाकर 20 डॉलर कर दिया है.
इसके अलावा दूसरी तिमाही के लिए ब्रेंट अनुमान घटाकर 20 डॉलर किया है. कोरोना संकट के कारण क्रूड डिमांड में भारी कमी आयी है. इस बीच, खबर है कि रूस और सऊदी अरब अप्रैल से उत्पादन बढ़ायेंगे. उधर, इराक ने ओपेक (OPEC) की इमरजेंसी बैठक बुलाने की मांग की है.
6 दिन में 7431 रुपये गिरा सोना
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि फ्यूचर मार्केट में सोना ने 39,740 रुपये का उच्चस्तर देखा, तो 38,650 रुपये के न्यूनतम स्तर पर भी आ गया. अप्रैल सीरीज की बात करें, तो पीली धातु जो 44,961 रुपये तक चढ़ गया था, 37,530 रुपये तक लुढ़क गया. इस तरह एक सप्ताह में सोने की कीमतों में 7,431 रुपये की गिरावट दर्ज की गयी है.
Source: Prabhat
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