कभी लालटेन की टिमटिमाती रोशनी में जीवन बिताने वाला बिहार, आज चकाचक रौशनी से दमक रहा है. बिजली के क्षेत्र में देश के पिछड़े राज्यों में गिना जाने वाला बिहार अब ‘पावर हाउस’ की पहचान बना रहा है. बिहार अब ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल है.

अब बिहार केवल अपनी जरूरतों की पूर्ति ही नहीं कर रहा, बल्कि निकट भविष्य में अन्य राज्यों को बिजली सप्लाई करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है. ऊर्जा विभाग की योजनाएं बिहार को ऊर्जा निर्यातक राज्य बनाने की ओर अग्रसर हैं.


2005 से 2025 तक, इन 20 सालों में बिहार ने बिजली के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. 2005 में जहां बिजली उपभोक्ताओं की संख्या मात्र 17 लाख 31 हजार थी, वहीं 2025 में यह आंकड़ा 2 करोड़ 12 लाख को पार कर गया है.


यानी 12 गुना वृद्धि. इसी तरह प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 2005 में जहां 75 यूनिट थी, वह अब 363 यूनिट तक पहुंच गई है, यानी 5 गुना से अधिक बढ़ोत्तरी हुई है.


बिहार की बिजली उत्पादन क्षमता में भी जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई है. 2005 में राज्य में बिजली उत्पादन केवल 1380 मेगावाट था. 2025 तक यह बढ़कर 8850 मेगावाट हो गया है, यानी 7 गुना वृद्धि.

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