पटना: बिहार के विश्वविद्यालयों के वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट स्वीकृत नहीं होने से संकट बढ़ गया है। शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के बजट प्रस्ताव की समीक्षा के लिए 15 से 29 मई तक अलग-अलग बैठक बुलायी थी। इसमें संबंधित विश्वविद्यालयों के कुलपति समेत अन्य पदाधिकारियों को बुलाया गया था। लेकिन, इस बैठक में कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि, दरभंगा को छोड़ काई कुलपति नहीं आए। इस कारण बैठक ही नहीं ली गयी और बजट को स्वीकृति नहीं मिली।
केके पाठक के विभाग ने बजट स्वीकृत कराने को लेकर ही बैठकें बुलायी थी। विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि बजट स्वीकृत नहीं होने के कारण ही वेतन-पेंशन समेत अन्य मद में राशि नहीं भेजी जा रही है। विभाग अब नये सिरे से नयी तिथि तय कर फिर विश्विद्यालयों की बैठक बुलाएगा, ताकि उनके बजट की स्वीकृति दी जा सके। राशि के अभाव में विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में में बड़ी संख्या में ऐसे भी शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी हैं, जिनका वेतन जनवरी से ही नहीं मिला है। फरवरी के बाद से कोई राशि भी नहीं भेजी गयी है। इस तरह देखें तो फरवरी के बाद किसी को भी वेतन-पेंशन नहीं मिला है।
विभाग ने 15 मई को केएसडीएस दरभंगा और अरबी-फारसी विवि की बैठक बुलायी थी। 16 को पूर्णिया और मुंगेर विवि, 21 को मधेपुरा और मगध, 22 को वीर कुंवर सिंह और तिलकामांझी भागलपुर, 24 को बीआरए मुजफ्फरपुर और पटना, 28 को पाटलिपुत्र और जयप्रकाश विविछपरा तथा 29 मई को लनामिवि दरभंगा की बैठक होनी थी।
विश्वविद्यालयों के कुलपति और अन्य पदाधिकारियों की शिक्षा विभाग की बैठकों से दूरी बनाने की यह पहली घटना नहीं है। पूर्व में कई बाद केके पाठक के आदेश पर कुलपतियों की बैठकें बुलाई गई। लेकिन कुछ एक को छोड़ दें तो किसी बैठक में विश्वविद्यालय के अधिकारी नहीं गए। कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के खाते पर रोक लगा दी। राज्यपाल की पहल पर भी मामला नहीं सुलझा और राजभवन की केके पाठक से ठन गई। पटना हाईकोर्ट के हस्त्क्षेप के बाद मामला पटरी पर आया। बजट स्वीकृत नहीं होने से एक बार फिर मामला उलझता दिख रहा है।
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