Press "Enter" to skip to content

“लालू परिवार को बिहार से कोई मतलब नहीं, सिर्फ अपने परिवार से मतलब है”: सीएम नीतीश कुमार

सीतामढ़ी: बिहार के मुख्यमंत्री और  जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी में चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने सीतामढ़ी की जनता से पार्टी के नेता और बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के लिए लोगों से वोट डालने की अपील की। इस दौरान नीतीश कुमार ने अपने भाषण में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर जमकर हमला किया।

ये है लालू परिवार की जब्त बेनामी संपत्तियों की पूरी लिस्ट, 175 करोड़ है  वैल्यू - here is the list of all illegal properties of lalu prasad yadav -  AajTak

नीतीश कुमार ने लालू को परिवारवाद का पार्याय बताते हुए कहा कि पहले खुद बना, फिर पत्नी को बनाया और अब बेटी को बना रहा। नीतीश कुमार ने बच्चों की संख्या के लिए लालू यादव को आड़े हाथों लिया और कहा कि हमारे लिए तो पूरा बिहार एक परिवार है। लोकसभा चुनाव में एनडीए प्रत्याशियों की जीत के लिए धुआंधार प्रचार  कर रहे हैं।

नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी समेत बिहार की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि उन लोगों के बिहार से कोई मतलब नहीं है। जब बिहार के सीएम पद पर बैठे थे तो आरोप बड़ा आरोप लगा।  जब पद छोड़ना पड़ा तो पत्नी को मुख्यमंत्री बनवा दिया। अपने हटता है और अपनी पत्नी को बनवा देता है।  इसको किसी से कोई मतलब नहीं है, अपने सिर्फ परिवार से मतलब है।  हम तो इतना दिन से काम कर रहे हैं कि हमारे परिवार के किसी सदस्य को आप लोग जानते हैं तो बताइए।  मेरे लिए तो पूरा बिहार एक परिवार है।  हम आप सभी को एक परिवार मानते हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि इतना पैदा किया जाता है,  9 गो बाल बच्चा पैदा किया। आप लोग जरा याद करिए कि पहले बीवी को बना ही दिया, बेटी को बनवा दिया, बेटा को बनवा दिया। अब एक और बेटी को बनाना चाहता है। यही सब काम करते रहा।

नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी की जनता से देवेश चंद्र ठाकुर को वोट देकर जीत दिलाने की अपील की। नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी इच्छा थी कि देवेश चंद्र ठाकुर सीतामढ़ी से लोकसभा का चुनाव लड़ें।  हम यही अनुरोध करने के लिए आए हैं कि उम्मीदवार को जिताइए।  इसके बाद कुछ और बात कह देना चाहते हैं। पहले कितना बुरा हाल था।  मेरे खिलाफ जो लोग बोलता है, उससे पूछिएगा की पहले क्या हालत था।  शाम के बाद घर से बाहर निकाल पाते थे। डर के मारे कोई नहीं निकल पाता था।  यह सब 2005 तक की बात कह रहे हैं। उसके बाद हमलोग काम किए तो हालात बदल गए।

 

Share This Article

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *