पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में लापरवाही को लेकर शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। अपर मुख्य सचिव केके पाठक का लापरवाह शिक्षकों पर डंडा चला है। राज्य से सरकारी स्कूलों के चौदह सौ हैडमास्टर का एक दिन की सैलरी काट दी गई है। कहा जा रहा है कि इन शिक्षकों का एक माह का वेतन भी कट सकता है। पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मामला मिड डे मिल से जुड़ा है।
जानकारी के मुताबिक, इन हेडमास्टरों ने अपने अपने स्कूलों से मध्यान भोजन योजना से संबंधित रिपोर्ट शिक्षा विभाग को नहीं दिया। समय से रिपोर्ट नहीं पेश करने वाले प्रधानाध्यापकों का वेतन बंद करने का आदेश सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया गया है। शिक्षा विभाग ने यह आदेश जारी किया है कि किस परिस्थिति में रिपोर्ट नहीं भेजी गयी। इसमें प्रधानाध्यपकों की लापरवाही तो नहीं है।
शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि जिन प्रधानाध्यापकों ने मध्यान्ह भोजन की रिपोर्ट भेजने में लापरवाही बरती है उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जा किया जाए कि क्यों नहीं उनका एक माह का वेतन लापरवाही की वजह से कटौती की जाए। ऐसे 1400 से अधिक प्रधानाध्यापकों की सूची भेजी गई है। स्पष्टीकरण में सही जवाब नहीं देने की स्थिति में उनके एक माह के वेतन की कटौती हो सकती है।
बता दें, कि केके पाठक बिहार के स्कूलों में पठन पाठन और अन्य व्सवस्था के सुधार के लिए काफी काम कर रहे हैं। वे खुद स्कूलों में निरीक्षण करने चले जाते हैं। केके पाठक के प्रयासों से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की शत प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित हो पाई है जबकि छात्र छात्राओं की उपस्थिति में भी काफी सुधार हुआ है। स्कूलों में सफाई, शौचालय, पानी, बेंच डेस्क समेत अन्य सुविधाओं में भी बढोतरी हुई है। हालांकि छुट्टी में कटौती और त्योहारों में ट्रेनिंग जैसे फैसलों को लेकर वे विवादों में रहे। विश्वविद्यालयों की व्यवस्था में दखल देने को लेकर राजभवन के साथ उनकी टकराहट भी जगजाहिर हो चुकी है। विश्वविद्यलयों के वीसी और अन्य पदाधिकारी केके पाठक के कार्यकाल में शिक्षा विभाग की बैठकों से दूर रहते हैं।
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