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मौनी अमावस्या 2024: भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा वाल्मीकिनगर

बगहा: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि नगर में मौनी अमावस्या को लेकर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। दरअसल, भक्त यहां माघ माह के मौनी अमावस्या के मौके पर श्रद्धा की डुबकी लगाएंगे और विभिन्न शिवालयों और विष्णु भगवान के मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने को लेकर वाल्मीकीनगर में भक्तों की भीड़ अभी से उमड़ने लगी है।

Mauni Amavasya 2023 Kab Hai Maghi Amavasya Significance Snan Puja Shubh  Muhurat - Amar Ujala Hindi News Live - Mauni Amavasya 2023:मौनी अमावस्या  आज, जानिए इसका महत्व, कथा और शुभ मुहूर्त

बिहार, यूपी और नेपाल के विभिन्न इलाकों से श्रद्धालु ट्रैक्टर, बैलगाड़ी और बस के माध्यम से इंडो नेपाल सीमा अंतर्गत वाल्मीकि नगर पहुंच रहे हैं। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी मौनी अमावस्या माघ मेला में लाखों श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचा है। शुक्रवार को अहले सुबह से ही गंडक नारायणी नदी के त्रिवेणी संगम तट पर भक्त आस्था की डुबकी लगाएंगे और गौ दान, तिल के साथ चावल और रुपये दान कर पूजा अर्चना करेंगे।

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बता दें कि माघ मेला में नेपाल और इंडिया दोनों तरफ से गंडक नदी के तट पर हर साल लाखों की संख्या में भक्त स्नान दान करते है। क्योंकि गंडक नदी विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है. जिसके गर्भ में शालिग्राम पत्थर पाया जाता है। इस नदी में सोनभद्र, ताम्र बद्री और नारायणी का पवित्र मिलन होता है। यही वजह है कि इसे प्रयागराज के बाद देश का दूसरा त्रिवेणी संगम होने का गौरव प्राप्त है।

पंडित ने बताया कि माघ मौनी अमावस्या मेले के दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने का विधान होता है। इस पर्व में मौन धारण कर मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान दान की पौराणिक परंपरा है। आगे बताया कि पौराणिक धारणाओं के अनुसार, माघ मास में भगवान सूर्य गोचर करते हुए जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते है तो उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता है।

 

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