पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार द्वारा भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के फैसले को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है। जेडीयू और आरजेडी दोनों ही पार्टियां कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले का क्रेडिट लेने में जुट गई हैं। इस बीच राज्य के पूर्व सीएम और हम पार्टी के संरक्षक जीतन राम मांझी की ओर से लिखा गया है कि ‘लालू जी यूपीए सरकार में 10 साल थे, उस वक्त वह इतने शक्तिशाली थें कि अगर चाहतें तो खुद को भी भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करवा सकतें थें, पर कुछ नहीं किया। खैर मोदी हैं ना, सबका सपना पूरा होगा, पर्वत पुरुष दशरथ मांझी एवं डॉ श्रीकृष्ण सिंह भी सम्मानित होगे क्योंकि मोदी है तो मुमकिन है।’
दरअसल, आरजेडी की ओर से दावा किया गया है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की उसकी मांग दशकों पुरानी रही है। आरजेडी की मांग और बिहार में हुई जाति आधारित गणना के बाद उसके परिणामों को देखते हुए केंद्र सरकार ने राजनीतिक दबाव में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का निर्णय लिया है।
आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि बिहार सरकार ने पहले जाति आधारित गणना कराई। इसके बाद आरक्षण के दायरे को बढ़ाया। अब हमारी मांग है कि आरक्षण के बढ़े हुए दायरे को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए। कर्पूरी ठाकुर के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अन्यथा उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा सांकेतिक लगेगी।
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