पटना: सीएम नीतीश कुमार के 15 वर्ष के संसदीय जीवन पर संसद में दिए गए उनके भाषण पर एक पुस्तक संसद में नीतीश कुमार लिखी गई है। जिसका आज विमोचन वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी और ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने किया।
विमोचनकर्ता व संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विपक्षी एकता का श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देते हुए कहा कि इसके बाद ही भाजपा की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि चार अगस्त ,1993 को नीतीश कुमार ने संसद में जातीय गणना पर भाषण दिया था. यह आज पूरे देश का मुद्दा बन रहा है. इंडिया गठबंधन ने अपने प्रस्ताव में इसे शामिल किया है. सरकार बनने पर देश में लागू किया जायेगा।
डॉ लोहिया को उद्धृत करते हुए मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि इस देश में तीन तरह के दुख हैं. इनमें मन का दुख, पेट का दुख और पेट व मन का दुख शामिल हैं. जब तक तीनों दुखों को दूर नहीं किया जायेगा यह देश विकसित नहीं होगा. वहीं, मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि 23 जून को पटना में विपक्षी एकता की बैठक हुई और यह ऐतिहासिक हो गया. उनकी कई मामलों में पहल को पूरे देश में लागू किया गया. अपने राजनीतिक जीवन में नीतीश कुमार ने जनपक्षधरता का निर्वहन पूरी दक्षता से किया है. उसी का परिणाम है कि आज बिहार विकास पथ पर अग्रसर है. उनमें प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावी बनाने की क्षमता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद में जिन मसलों पर अपने विचार रखे, 2005 में जब वो बिहार के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने उन सभी विषयाें पर अमल किया. मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत किया. महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं को नौकरियों में आरक्षण, शराबबंदी सहित अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाये. उनके विचार महात्मा गांधी, डाॅ राममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण, बाबा भीमराव अंबेडकर से मिलते हैं. शुक्रवार को जगजीवन राम शोध संस्थान में पांच खंडों में प्रकाशित पुस्तक संसद में नीतीश कुमार का विमोचन हुआ. इसमें संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी और ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव आदि ने भाग लिया।
पुस्तक का संपादन समाज विज्ञानी जगनारायण सिंह यादव ने किया है. प्रकाशन दिल्ली के साहित्य संसद प्रकाशन ने किया है. पुस्तक में 1989 से 2005 तक नीतीश कुमार के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान संसद में विभिन्न मुद्दों पर दिये भाषण का संग्रह है. पुस्तक के पहले खंड का नाम कृषि प्रधान भारत है. इसमें संसद में नीतीश द्वारा कृषि के बारे में दिये वक्तव्यों का संकलन है. दूसरे खंड का नाम भारतीय रेलवे है. इसमें नीतीश द्वारा रेलवे के बारे में दिये गये पांच भाषण हैं. तीसरे खंड का नाम विकासशील भारत है. इसमें देश के बारे में नीतीश का नजरिया है. चौथे खंड का नाम भारतीय समाज है. इसमें विभिन्न वर्गों की स्थिति के बारे में नीतीश कुमार के द्वारा किये गये जिक्र का उल्लेख है. अंतिम और पांचवां खंड भारतीय राजनीति है. इसमें राजनीतिक स्थिति के बारे में नीतीश कुमार ने अपने भाषणों में जिक्र किया है।
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