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नीतीश-तेजस्वी से भाव न मिलने पर नाराज असदुद्दीन ओवैसी, तीसरे मोर्चे कितना कारगर?

पटना: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बिहार में तीसरा मोर्चा (थर्ड फ्रंट) बनाने का ऐलान किया है। पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को मुस्लिमों का वोट चाहिए। मगर नीतीश और तेजस्वी मुस्लिमों को उनका हक नहीं देना चाहते हैं। AIMIM प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान ने कहा कि उन्हें किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं किया गया, इसलिए उनकी पार्टी बिहार में तीसरा मोर्चा बनाएगी। इसमें समान विचारधारा वाले दलों को शामिल किया जाएगा। बीते विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी ने उपेंद्र कुशवाहा और बसपा के साथ गठबंधन किया था।

नीतीश-तेजस्वी से भाव न मिलने पर नाराज असदुद्दीन ओवैसी, AIMIM के तीसरे मोर्चे का दावा कितना कारगर?

एआईएमआईएम प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने सोमवार को ऐलान किया कि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी बिहार में तीसरा मोर्चा बनाएगी। उन्होंने बताया कि AIMIM समान विचारधारा वाली पार्टियों को इसमें शामिल करेगी। इस दौरान उनका दर्द भी छलका। इमान ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी बीजेपी के मुखर विरोधी हैं। इसके बावजूद उन्हें बीजेपी विरोधी महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया। ऐसे में उनके पास अब तीसरा मोर्चा बनाने का विकल्प ही रहा है।

2020 में ओवैसी ने कुशवाहा और बसपा से किया था गठबंधन
पिछले विधानसभा चुनाव में भी असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में उपेंद्र कुशवाहा और बसपा से गठबंधन किया था। उस चुनाव में AIMIM ने पांच सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था। हालांकि, कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जबकि बसपा एक सीट ही जीत पाई थी। आगामी चुनाव में सीमांचल क्षेत्र की मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर ओवैसी नजर गढ़ाए बैठे हैं।

ओवैसी का तीसरा मोर्चा बनाने का दावा कितना कारगर?
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने बिहार में तीसरा मोर्चा बनाने का दावा करके नई राजनीतिक बहस शुरू कर दी है। मौजूदा राजनीतिक समीकरणों पर नजर डालें तो राज्य के प्रमुख दलों ने किसी न किसी गठबंधन का दामन थाम लिया है। 2020 में ओवैसी के साथ रहने वाले उपेंद्र कुशवाहा अब नई पार्टी रालोजपा बनाकर एनडीए में चले गए हैं। जीतनराम मांझी की हम, चिराग पासवान की लोजपा रामविलास, पशुपति पारस की रालोजपा भी एनडीए में शामिल है। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

ओवैसी के सामने अब बसपा और वीआईपी समेत अन्य छोटे क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन का विकल्प खुला हुआ है। हालांकि, वीआईपी के भी एनडीए में जाने के आसार नजर आ रहे हैं। ओवैसी आगामी लोकसभा के साथ-साथ 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी रणनीति तय करेंगे। फिलहाल चुनाव में अभी कुछ महीनों का वक्त बचा है। ऐसे में आगे क्या होगा यह वक्त आने पर ही पता चलेगा।

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