मुजफ्फरपुर: सदर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का बड़ा नमूना सामने आया है। कोरोना काल में पीएम केयर फंड से मरीजों के लिए मिले वेंटिलेटर पड़े-पड़े खराब हो गए। कोरोना काल के दौरान मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल को पांच वेंटिलेटर दिए गए थे। वेंटिलेटर का प्रयोग मरीजों की जान बचाने के लिए करना था। स्थिति ये है कि ये पांचों वेंटिलेटर अब बेकार हो गए हैं।
बेकार हो गए लाखों के वेंटिलेटर
सदर अस्पताल को मिले पांचों वेंटिलेटर नहीं चल रहे हैं। ये वेंटिलेटर वर्तमान में सदर अस्पताल परिसर में मौजूद मातृ शिशु सदन में रखे हुए हैं। अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि पेडेस्ट्रियन एनेस्थेटिक नहीं होने से वेंटिलेटर इस्तेमाल में नहीं लाए गए। सिविल सर्जन का कहना है कि सदर अस्पताल को वेंटिलेटर मिले थे। वेंटिलेटर की जानकारी ली जाएगी। इसके अलावा वेंटिलेटर के सामान और बैट्री खराब हो रहे हैं। इसकी जांच कराई जाएगी। आखिर किसने लापरवाही की।
पीएम केयर फंड से मिले थे वेंटिलेटर
पीएम केयर फंड से सदर अस्पताल के अलावा एसकेएमसीएच को 80 वेंटिलेटर दिए गए थे। एसकेएमसीएच में भी मात्र 30 वेंटिलेटर पूरी तरह काम कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि जितने वेंटिलेटर की जरूरत है, उतने चल रहे हैं। कुछ वेंटिलेटर की बैट्री डिस्चार्ज हो गई होगी तो उसे ठीक करा लिया जायेगा। इस्तेमाल नहीं होने वाले लगभग 50 वेंटिलेटर के सामान और बैट्री खराब हो रही है। बीबी कॉलेजिएट में 20 वेंटिलेटर का आवंटन हुआ था। कॉलेजिएट वाला वेंटिलेटर भी मार्च महीने से बंद पड़ा है। कोरोना काल में आपात स्थिति से निपटने के लिए वेंटिलेटर सदर अस्पताल को दिये गए थे।
मरीजों पर भारी पड़ सकती है लापरवाही !
एक वेंटिलेटर पर पांच लाख 32 हजार रुपये की लागत आती है। बैट्री की कीमत 20 हजार रुपये होती है। यदि मुजफ्फरपुर के लिए आवंटित खराब वेंटिलेटर को ठीक कराया जाए, तो लागत 15 लाख रुपये आएगी। पड़े-पड़े वेंटिलेटर की ऑक्सीजन देने वाली किट खराब हो गई है।
डॉक्टर मानते हैं कि वेंटिलेटर की लगातार देखरेख करनी पड़ती है। लापरवाही की वजह से ही ऐसी हालत हुई है। बंद पड़े वेंटिलेटर आपात स्थिति में मरीजों के लिए मुसीबत बन सकते हैं। फिर भी अस्पताल प्रशासन की ओर से अभी तक उसे ठीक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।
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