उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जदयू विधायकों के 2014 में हुए निलंबन मामले की सुनवाई करते हुए निर्णय सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत किसी विधायक के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर निर्णय लेते समय विधानसभा अध्यक्ष को पूर्व विधायक का दर्जा वापस लेने का अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने यह आदेश जदयू के तत्कालीन चार विधायकों ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, रवींद्र राय, नीरज कुमार सिंह और राहुल कुमार की अपील पर पारित किया। इन विधायकों को 11 नवंबर, 2014 को बिहार विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने न केवल अयोग्य घोषित किया था, बल्कि पूर्व विधायक का दर्जा भी ले लिया था जिससे वे पेंशन और अन्य लाभों से वंचित हो गए थे।
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने 4 अयोग्य विधायकों के पूर्व विधायकों का दर्जा बहाल कर दिया जिससे वे पेंशन और अन्य लाभों के हकदार होंगे। पीठ ने यह भी कहा कि 15वीं विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, इसलिए वह उस मूल मुद्दे पर गौर नहीं करेगी कि क्या अयोग्यता असंवैधानिक थी।
जदयू के तत्कालीन विधायकों ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, रवींद्र राय, नीरज कुमार सिंह और राहुल कुमार पर राज्यसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ काम करने का आ’रोप लगा था। जिसके बाद विधानसभा स्पीकर ने पार्टी की मांग पर इनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। विधानसभा अध्यक्ष ने चारों विधायकों से पूर्व विधायक का दर्जा भी वापस ले लिया था। जिसके बाद इन सभी विधायकों ने कोर्ट की शरण ली थी।
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