मुजफ्फरपुर : बच्चों के लिए अब तक घात’क साबित होती आयी एईएस जैसी जा’नलेवा बी’मारी अब जिले के नये इलाकों में भी पांव पसार रही है। पहले से प्रभावित व संवेदनशील घोषित प्रखंडों के अलावा इस बार तीन नये प्रखंडों में यह बीमारी घुसी है। इस वर्ष अबतक कुढ़नी और बंदरा से दो-दो एईएस के मरीज की पुष्टि हुई है। इसके अलावा गायघाट में भी एईएस का एक मरीज मिला है।
जिला स्वास्थ्य विभाग छह प्रखंडों को एईएस प्रभावित मानता रहा है जिनमें कांटी, मीनापुर, मोतीपुर, बोचहां और मुशहरी शामिल हैं। इसके अलावा इस वर्ष पारू प्रखंड को भी एईस प्रभावित प्रखंडों की श्रेणी में रखा गया। पिछले वर्ष पारू प्रखंड से एईएस के ज्यादा मामले आने के बाद इसे एईएस प्रभावित प्रखंडों में शामिल किया गया है।
एईएस के मरीज नये इलाके में मिलने पर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है। सिविल सर्जन डॉ सुभाष प्रसाद सिंह ने बताया कि हमलोगों ने सभी पीएचसी प्रभारियों को एईएस को लेकर अलर्ट रहने को कहा है। एईएस के नोडल अफसर डॉ सतीश कुमार ने बताया कि दो केस अलार्मिंग नहीं हैं। सभी जगह हमारी पूरी मुस्तैदी है।
जिले में एईएस पर एम्स की दो टीमें रिसर्च कर रही हैं। एम्स जोधपुर की टीम दो वर्षों से एईएस के कारणों का पता लगा रही है तो एम्स पटना की भी टीम भी अब नये सिरे से बीमारी पर शोध कर रही है। एम्स जोधपुर की टीम प्रो अरुण कुमार सिंह के नेतृत्व में काम कर रही है। टीम कांटी, मुशहरी और मीनापुर के एईएस प्रभावित गांवों में काम कर रही है। टीम का मानना है कि गर्मी के कारण बच्चों को यह बीमारी हो रही है। नदी के निचले इलाकों में तापमान अधिक पाया जाता है इसलिए वहां ज्यादा एईएस के लक्षण दिख रहे हैं। एम्स पटना की टीम बच्चों के मेटाबोलिज्म में बदलाव पर अध्ययन कर रही है। इधर, एसकेएमसीएच के पीकू में रविवार को एईएस का एक संदिग्ध मरीज भर्ती किया गया है।
Be First to Comment