बिहार : नवजातों को डायरिया जैसी जा’नलेवा बी’मारी से बचाने के लिए सरकार ने रोटावायरस वैक्सीन को लांच किया। राष्ट्रीय अभियान के तहत तीन साल से बच्चों को रोटावायरस की खुराक देने के लिए इसकी डोज तक सरकारी अस्पतालों को उपलब्ध करा दी गई। इसके बावजूद बिहार में अभियान की रफ्तार काफी सुस्त है, जबकि पड़ोसी झारखंड जैसे राज्य की भी स्थिति अच्छी होती जा रही है।
रोटावायरस वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में केंद्र सरकार ने साल 2016 में ही शामिल किया, लेकिन इसे यूपी-बिहार व झारखंड तक पहुंचने में दो से तीन साल तक का वक्त लग गया। उत्तर प्रदेश व झारखंड में रोटावायरस वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत साल 2018 में लांच किया गया, जबकि बिहार में साल 2019 में।
राष्ट्रीय रोटावायरस टीकाकरण 36.4 प्रतिशत की तुलना में यूपी में 12 से 23 माह के 49.1 प्रतिशत बच्चों को रोटावायरस की वैक्सीन दी गयी तो वहीं बिहार में महज 3.4 प्रतिशत। जबकि झारखंड में 12 से 23 माह के 32.3 प्रतिशत बच्चों को रोटावायरस की डोज दी गयी। वहीं अगर हम भागलपुर जिले की बात करें तो इस दौरान 12 से 23 माह के 15.6 प्रतिशत बच्चों को रोटावायरस की वैक्सीन दी गयी।
रोटावायरस की चपेट में आकर हर रोज रोजाना छह से सात बच्चे इलाज के लिए मायागंज अस्पताल में भर्ती होते हैं। गर्मी के दिनों में ये बीमारी कुछ ज्यादा बढ़ जाती है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार कहते हैं कि अगर लक्षण दिखते ही बच्चे को इलाज के तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाये तो उनकी हालत को गंभीर होने से बचाया जा सकता है। साथ ही अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को नजदीकी टीकाकरण केंद्र पर ले जाकर रोटावायरस की वैक्सीन जरूर दिलावाएं।
मायागंज अस्पताल के शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. केके सिन्हा बताते हैं कि रोटावायरस एक अत्यधिक तेजी से फैलने वाला विषाणु है जो कि बच्चों विशेषकर नवजातों में गैस्ट्रोएंटेराइटिस (पेट का इन्फेक्शन) का बड़ा कारण है। रोटावायरस मल में मौजूद होता है और यह हाथों के जरिये मुंह से संपर्क स्थापित करते हुए दूषित पानी व अन्य चीजों तक पहुंच जाता है।
इस बी’मारी की चपे’ट में आने से बच्चा विशेषकर शिशु दस्त (डायरिया) व उल्टी करने लगता है। इसके अलावा बच्चे में पेट दर्द, बुखार, खांसी व नाक बहने का लक्षण दिखने लगता है। डायरिया होने से बच्चों में तरल व इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होने से उसे डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे बच्चों की मौत तक हो सकती है। यहां तक रोटावायरस से आंतों में गंभीर संक्रमण तक हो सकता है। ऐसे में रोटावायरस का वैक्सीन बच्चों को इस बीमारी विशेषकर डायरिया से बचाता है।
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