पौराणिक मान्यता के अनुसार सृष्टि के आरंभ के पंद्रह दिन बाद वैशाख मास Vaishakh mass का आरंभ होता है। धर्म शास्त्र के अनुसार शक्ति का संतुलन एवं योग क्रिया के अनुसार वैचारिक एकाग्रता का यह पवित्र माह है। दरअसल हिंदू कलैंडर Hindu Calender का पहला माह चैत्र धुलेंडी (कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा) से शुरु माना जाता है, लेकिन इसके बाद चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवसंवत्सर शुरू होता है, यानि नवरात्र का पहला दिन…
वहीं हिंदू कलैंडर Hindu Calender का दूसरा माह वैशाख होता है, जो नवसंवत्सर के 15 दिन बाद से शुरू होता है। धर्म शास्त्र में इस वैशाख माह में भगवान शिव की विशेष साधना की बात कही जाती है। वहीं इस मास के सोमवार को भी सावन व कार्तिक मास के सोमवार जितना ही महत्व दिया गया है।
इस मास में भगवान शिव की विशेष साधना का मुख्य कारण यह माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ होने के तुरंत पंद्रह दिन बाद तपिश का वातावरण तैयार हो जाता है। धर्म शास्त्र में धार्मिक दृष्टिकोण से इस माह विशेष में वरुण देवता का विशेष महत्त्व होता है।
शिव महापुराण के अनुसार परम योग के अधिष्ठात्र भगवान शिव वैशाख Vaishakh mass में अपनी योगिक क्रियाओं का आरंभ करते हुए अनुभूत होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में जल का कारक चंद्रमा है। यजुर्वेद में भी मन को चंद्रमा से जोड़ा गया है। इसी चंद्रमा को भगवान शिव ने जटा पर धारण किया हुआ है। इसका अर्थ यह है कि मानसिक, बौद्धिक एकाग्रता के लिए ध्यान साधना आवश्यक है। चूंकि ध्यान पंचमहाभूतों में प्राणवायु से संबंधित है। प्राणवायु अग्नितत्त्व को संतुलित करती है।
वैशाख Vaishakh mass में भगवान शिव को या शिवलिंग पर जल चढ़ाने अथवा गलंतिका बंधन करने का (पानी की मटकी बांधना) विशेष पुण्य बताया जाता है।
1- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
2 – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
4 – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
5 – केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
6 – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
7 – काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
8 – त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
9 – वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
10 – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
12 – घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग
Be First to Comment