बिहार में गश्त के दौरान अ’पराध की घ’टनाएं होती है तो ग’श्ती पर रहे पुलिस अधिकारी और जवानों की जिम्मेदारी तय होगी। मिली जानकारी के मुताबिक, डीजीपी एसके सिंघल ने गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में हुई अंतर प्रभागीय बैठक में इसका निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि पुलिस गश्त में प्रत्येक स्तर पर व्यक्तिगत प्रदशन को आंका जाएगा ताकि ये पता चल सके कि किसी पुलिस अधिकारी और जवान ने अपरा’ध नियंत्रण के लिए क्या योगदान दिया।डीजीपी ने आपरा’धिक घ’टनाओं के पैटर्न के आधार पर जहां घट’नाएं ज्यादा हो रही हैं उन्हें हॉट’स्पॉट के तौर पर चिह्नित करने और वहां गश्ती को केंद्रित करने का निर्देश दिया। ऐसी जगहों पर तय समय पर नहीं बल्कि औचक रूप से गश्त की जाएगी। डीजीपी ने यह भी कहा कि गश्त कारगर होनी चाहिए। इस दौरान पुलिसकर्मी सजग और सतर्क रहें। गश्ती की खानपूर्ति नहीं की जाए।बैठक के दौरान एडीजी मुख्यालय जेएस गंगवार ने निर्देश दिया कि गश्त को ‘रोको-टोको-फोटो’ की तर्ज पर किया जाए। इसका मतलब है कि गश्त पर मौजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा संदिग्धों को रोका जाए, उनसे पूछताछ करें और वाहन के साथ उस व्यक्ति की मोबाइल से फोटो भी लें। उक्त फोटो को कुछ दिनों तक थाना के कंप्यूटर में सुरक्षित रखा जाएगा ताकि अप’राध होने पर बद’माशों के हुलिया से फोटो का मिलान किया जा सके।एडीजी द्वारा जिलों के एसएसपी और एसपी को अधिकतम 3 या एक महत्वपूर्ण कांड का केस स्टडी भेजने का भी निर्देश दिया गया। यह 28 अप्रैल तक मुख्यालय को भेजना होगा। वहीं अप’राध नियंत्रण व अनुसंधान, जन उपयोगी पुलिस व्यवस्था और पुलिस कल्याण में जो भी उल्लेखीय कार्य या योजना चलाई जा रही उसपर भी टिप्पणी भेजने का निर्देश रेंज आईजी-डीआईजी को दिया गया है। बैठक में एडीजी सीआईडी जितेंद्र कुमार, एडीजी प्रोविजनिंग अजिताभ कुमार ने भी अपनी बात रखी।
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