बिहार सहित देश के अलग-अलग राज्यों के हजारों छात्र-छात्राएं मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में जाते हैं। खासकर वैसे छात्र जिनका देश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नामांकन नहीं होता है।
अब वहां यु’द्ध के हा’लात के बाद इन्हें चिं’ता सता रही है कि आगे की पढ़ाई कैसे होगी? वैसे छात्र-छात्राएं जिनका अंतिम साल है। इन्हें पूरा कोर्स करने में समय लगेगा। जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती है। फिलहाल ऑफलाइन पढ़ाई संभव नहीं है। ऑनलाइन पढ़ाई की सूचना नहीं है। वहां से लौटे परीक्षार्थियों ने बताया कि किसी तरह से ब’चकर आ गए हैं। अब स्थिति सामान्य होने के बाद कुछ संभव है।मिली जानकारी में सारण के अमन पांडेय ने बताया कि अभी प्रथम सेमेस्टर का छात्र हूं। स्थिति सामान्य होने के बाद जाने के लिए सोचा जाएगा। फिलहाल तो यूनिवर्सिटी से जैसी सूचना मिलेगी। उसके हिसाब से कार्य किया जाएगा। गोपालगंज के कशिश राय ने बताया कि पहले सेमस्टर का छात्र हूं। स्थिति सामान्य होने के बाद तय किया जाएगा कि जाना है या नहीं। अभी मुश्किल दौर है। कम से एक माह से अधिक स्थिति सुधार में होने लगेगा।
वहां के विश्वविद्यालय आगे कैसे छात्रों का कोर्स पूरा करेंगे या एक बड़ी चुनौती है। बिना प्रैक्टिकल मेडिकल की ऑनलाइन पढ़ाई अधूरी है। मेडिकल की पढ़ाई के लिए थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल की जरूरत है। ख़बरों के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर और ई-मेल आदि के माध्यम से 600 से अधिक बिहारियों के द्वारा संपर्क कर यूक्रेन में फं’से अपने संगे-संबंधी के विषय में सूचना दी गई है। बिहार लौटने में उनकी हर मदद के लिए निरंतर विदेश मंत्रालय से संपर्क साधा जा रहा है।95 लोग अब-तक यूक्रेन से पटना लौट चुके हैं। वहीं बिहार की स्थानिक आयुक्त कार्यालय में हेल्पलाइन नंबर पर यूक्रेन में फं’से बिहार के जो भी विद्यार्थी और अन्य ने संपर्क किया है, उनका डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के 1200 से अधिक लोगों के यूक्रेन में रहने का अनुमान है।
Be First to Comment