वैशाली(गोरौल)। ये है वैशाली जिले के चेहरकला प्रखंड अंतर्गत वस्ती सरसिकन पंचायत। जहां की बस्ती के दलितों और महादलितों ने पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का एलान किया है। आखिर उनके ऐसा ऐलान करने के पीछे कुछ कारण जरूर होगा।
आजादी के 75 वर्ष बाद भी इस बस्ती नामक गांव के एक नम्बर वार्ड की सूरत नहीं बदली। इस वार्ड के दलित महादलित आज भी गुलामी की जंजीरों से बंधे हैं। आखिर इसे बंधना नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे।
सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं से यह बस्ती वंचित है। आज यहां के लोग न तो जी रहे हैं और न ही मर रहे हैं। किसी कवि ने सच ही कहा है कि ” खाने को मिलता नहीं पेट भर दाना, मरने भी देता नहीं तड़प रह जाना ” ।
इतना ही नहीं इस बस्ती को किस तरह छलने का काम किया जा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण नल जल योजना है। यहां नल जल योजना के पाइन तो बिछा दिये गये, लेकिन एक बूंद पानी के लिये लोग लालायित रहते हैं। क्योंकि उसमें नल लगा ही नहीं।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस बस्ती के लोगों को कहीं आना जान पड़ता है तो आज भी लोग नाव पर अपनी जान जोखिम में रखकर गहरी नाशी को पार कर जाते हैं। यहां से प्रखंड मुख्यालय की दूरी लगभग 8 – 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
इस बस्ती के लोगों को सांसद, विधायक से लेकर मुखिया तक ने छला ह।ै इस आश्वासन पर कि इस बस्ती के लोगों को आने जाने के लिये पक्की सड़क के साथ साथ पुल का निर्माण करवाएंगे और यह सिलसिला आजादी के बाद से ही चलता आ रहा है।
इस बस्ती के शिबजी राम , गणेश पासवान , राजेश पासवान , विनय राम , ममता देवी , सुनीता देवी , गीता देवी , अनिल राम सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि यहां के जो भी प्रतिनिधि हुए, सबने हमें छलने का ही काम किया। हमसे आश्वासन कर वोट ले लेते थे और जीत कर जाने के बाद आश्वासन को ठंडे बस्ते में डाल चैन की नींद सो जाते हैं।
इस बार हमलोग इनके मायाजाल में फंसने वाले नहीं हैं। 20 अक्टूबर को होने वाले पंचायत चुनाव में इनको सबक सिखा देंगे और वोट का वहिष्कार कर विरोध प्रकट करेंगे। विरोध पंचायत चुनाव भर ही नहीं बल्कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में भी जारी रहेगा। हमलोगों की एक ही मांग है, पूल और सड़क नहीं तो वोट नहीं ।
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