व्यंग / मनोज
शहर में ! शहर को ! स्मार्ट बनाने की! जिद ठन गयी है! नगर निगम जिला प्रशासन और जन प्रतिनिधियो में! लगता है बात बन गयी है! तभी तो “झील” से पानी निकाला जा रहा है।
नगर निगम हृदय – स्थली पर हथौड़ा चला रहा है। लोग चुप हैं। अरे बापू की यादें “स्मृति” मिटा रहा। अपना क्या जा रहा है। स्टेशन रोड में दुकानें तोड़ दी गयी। दुकानदार सड़क पर आ गये । चुप्पी कायम रही। लेकिन बात पक्की सराय पर आयी। तो शोर है। धीरे या ज्यादा! चहूंओर है! बात यहाँ भी अतिक्रमण का ही था । लेकिन सोंच समझ और विरोध में अंतर है।
एक पल तो ऐसा लगा हालात मीनाबाजार सा हो जायेगा। तब कैसे आग लगी। कब दुकानें जली। अभी लोग जानते। निगम सोंचता। हो हंगामा ! मुआवजा मांगते । राजनीति ठनती । तबतक पीड़ितों ने दुकानें सजा ली। पहले से बेहतर। कईयों ने “पक्की” बना ली। हैरत रही ! सब देख सुन जान बूझ कर भी निगम ने आँखें फेर ली। मसला “वोट” का था ! जिला प्रशासन ने भी मुंह मोड़ ली! आज भी मीना बाजार पर “कब्जा” अंगूठा दिखा रहा है।
सच कहें तो कानून और प्रशासन को “औकात” दिखा रहा है। बात पक्की सराय की करें तो नजारा यहाँ कुछ बदला- बदला था। हालात भी वही है। अतिक्रमणकारियों के तेवर कड़े हैं । रोजी रोटी आसरा पर आ बनी है। नतीजतन जिला प्रशासन से ठनी है। हालांकि नेताजी चुप हैं। बुलडोजर यहाँ भी चला है।ऐलान की मानें आगे भी चलने वाला है। तो लगता है शहर का रंग बदलने वाला है। क्योंकि चीजें बदल रही है।
नगर के “मेयर” बदल गये। बैठे बिठाए कुछ लोगों के “चेयर” बदल गये। दफ्तर, गेट, गाड़ी का बदला रंग। काम का तरीका। रहन सहन का ढंग। दस्तूर बदल रहा है। ऐसे में लग रहा है शहर “स्मार्ट” हो जायेगा। अरे जब झुग्गी झोपड़ी पर जेसीबी मंडरायेगा ! गरीबी बुलडोज़र तले दब जायेगी ! खाली जगहों पर “माॅल” बन जायेंगे। फाइव स्टार “होटल” नजर आयेंगे। चौड़ी सड़कें जगमगायेगी।
हुज़ूर लोगों को तब ! रात में भी “दिन” नजर आयेगा! तब कहो न ! यह शहर स्मार्ट होगा कि नहीं ? भले लोगों ने जो सोंचा, समझा, देखा, सुना , पाया नहीं ! पार्क में जंगल! सड़क पर पानी! किनारे कचरा! छीना – झपटी ! चोरी – चमारी! मारामारी! लूट ! हत्या ! अपहरण ! अत्याचार! कालाबाजारी ! बेकारी ! भले जोरों पर रहे!
पीने का पानी ! हर घर नल जल का मुंह चिढ़ा रही हो। अफसरशाही रूला रही हो! बिजली आँसू बहा रही हो! फिर भी जहाँ नित्य “प्रकाश” हो आश्वासन का। मुफ्त के राशन का! लोग अपनी जान तो बचायेंगे ही! कोरोना से बचना है तो जन्मदिन का टीका लगायेंगे ही!
भले अवाम बाढ़ में डूबे या बारिश में तिलमिलाये।शहर गंदगी में नारकीय लगे या राजनीति में दलदल बन जाए! नयी शुरुआत शहर की तकदीर बदल जायेंगे ! यही जिद जुनून कायम रही तो ! आज नहीं तो कल… परसों… बरसों… कभी न कभी… हम होंगे कामयाब… एक दिन…! बदले माहौल में लोगों को अच्छे दिन नजर आ जायेंगे …?
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