भाजपा की भविष्य की चु’नावी रण’नीति के लिए दलित आदिवासी समी’करण बेहद अहम रहेंगे। विरोधी दलों की सामाजिक ध्रुवीकरण की राज’नीति को देखते हुए भाजपा इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। उसने उत्तर प्रदेश में बसपा के प्रति नरम रुख अपना रखा है और बिहार में तमाम तल्खी के बावजूद केंद्र में लो’जपा को अपने साथ जोड़ा हुआ है। भाजपा इस रण’नीति पर काफी समय से काम कर रही है। चूंकि, विरोधी खेमे को मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग के एक बड़े हिस्से का समर्थन मिल रहा है, इसलिए भाज’पा को उसकी काट के लिए अपने सामा’जिक समीकरणों को भी मजबूत करना पड़ रहा है।
बिहार में वह जदयू के दबाव में वह लो’जपा को साथ लाने में सफल तो नहीं रही, लेकिन जीतनराम मांझी को अपने साथ जोड़ा। साथ ही लो’जपा के खिलाफ भी वह सख्ती नहीं दिखाई, जिससे लगे कि वह उससे दूर जा रही है। हालांकि, उसके नेताओं ने सख्त बयान दिए, लेकिन चिराग पासवान ने जिस तरह लगातार भा’जपा नेतृत्व की तारीफ की उससे साफ है कि भाजपा और भाजपा और लोजपा के रिश्ते बेहतर बने हुए हैं।
चिराग व मांझी की अहम भूमिका रहेगी
दलित आदिवासी समुदाय आमतौर पर कांग्रेस का सम’र्थक रहा है, लेकिन बाद में वह भाजपा के साथ जुड़ा। लोक’सभा की अधिकांश दलित और आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित सीटें भाजपा को मिलती रही हैं। राष्ट्रीय स्तर पर लोज’पा नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद भाज’पा खेमे के पास कोई बड़ा राष्ट्रीय स्तर का दलित नेता नहीं है। ऐसे में पार्टी पासवान के बेटे चिराग पासवान को उनकी जगह केंद्र में मंत्री पद दे सकती है। बिहार में भी अगर राजग सत्ता में आता है तो भावी सर’कार में जीतन राम मांझी की भी अहम भूमिका रहेगी।
केंद्र में आठवले अकेले गैर भाजपा मंत्री
हाल में उत्तर प्रदेश के राज्य’सभा चुना’व में भाजपा ने परोक्ष रूप से बसपा को एक सीट जिताने में मदद की। वैसे भी भा’जपा के बसपा को लेकर तेवर ज्यादा तीखे नहीं रहे हैं। बसपा का भी रुख अपेक्षाकृत नरम ही रहा है। महाराष्ट्र में शिव’सेना के साथ तल्खी के बावजूद भा’जपा ने रिपा नेता रामदास आठवले को अपने साथ जोड़े रखा है और वही केंद्र में गैर भाज’पा दलों से इकलौते मंत्री भी हैं। अगले साल तमिलनाडु में भी चुनाव होने हैं और वहां पर दलित राज’नीति काफी प्रभावी रहती है। ऐसे में भा’जपा विभिन्न दलित नेताओं को जोड़कर वहां के लिए भी संदेश देना चाहेगी।
बांकुरा का संदेश
पश्चिम बंगाल के लिए चु’नावी तैयारी अभियान शुरू करने के लिए भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बांकुरा को चुना और वहां पर भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्’यार्पण कर अपने अभियान की शुरुआ’त की।
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