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एक ही पौधे में बैंगन और टमाटर की फसल, IIVR वाराणसी में किसानों ने सीखे अनोखी खेती के गुर

आने वाले समय में बिहार के किसानों के खेतों में एक ही पौधे में बैंगन और टमाटर का उत्पादन होगा। यह भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) वाराणसी द्वारा तैयार ब्रोमैटो पौधे की वजह से संभव हो सकेगा। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) की ओर से इन पौधों को जिले के विभिन्न प्रखंडों के किसानों को सैंपल के तौर पर बांटा गया है। किसानों ने इन पौधों का रोपण भी कर दिया है। अगले महीने से इसमें बेहतर ग्रोथ होगा ओर मार्च से इसमें फलन शुरू हो जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार सिंगल क्रॉप वाले पौधे की तुलना में इनमें ज्यादा सब्जियों का उत्पादन होगा।आत्मा की ओर से जिले के किसानों को भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी का भ्रमण कराया गया। इस दौरान वहां के कृषि विशेषज्ञों के द्वारा पॉली हाउस में तैयार किए गए इन पौधों के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही 200 पौधे उपलब्ध कराए गए हैं।IMG-20241030-WA0000-1024x682-2-1.jpg (1024×682)इन पौधों को पीरपैंती, सन्हौला, कहलगांव, खरीक, शाहकुंड और नवगछिया के किसानों को बांटे गए हैं। किसानों द्वारा इन पौधों का रोपण किया जा चुका है। फरवरी से इन पौधों में बेहतर ग्रोथ होगा। मार्च से इन पौधे में बैंगन और टमाटर लगने शुरू हो जाएंगे।इन पौधे से हरेक दो से तीन दिन में ढाई से तीन किलो बैंगन और टमाटर का उत्पादन होता है। इनका फलन समय दो से ढाई महीने का होता है। ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर ने बताया कि ब्रोमैटो पौधे को जंगली पौधे के साथ टमाटर और बैंगन के पौधे को ग्राफ्टिंग कर तैयार किया जाता है। जंगली पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होने की वजह से यह बैंगन और टमाटर के एकल पैदावार वाले पौधे की तुलना में ज्यादा प्रतिरोधक होते हैं। इनमें सूखे से सहने की क्षमता भी ज्यादा होती है। साथ ही इनमें टमाटर और बैंगन के एकल फसल वाले पौधे की तुलना में ज्यादा उत्पादन भी होता है।

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