मुजफ्फरपुर जिला परिषद् सभागार में रामवृक्ष बेनीपुरी जयंती का भव्य आयोजन किया गया। जहां बेनीपुरी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर और दीप प्रज्वलन कर जिलाधिकारी ने कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया।
इस अवसर पर प्रिस्टिन चिल्ड्रन स्कूल के बच्चों द्वारा स्वागत गान एवं झूमर की मनमोहक प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
वहीं जिलाधिकारी ने कहा कि कलम के जाइगर रामहरु बेनीपुरीजी के बारे में जितनी बातें की जाएं कम है वो इस सोढ़ पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। रामवृक्ष बेनोपुटी, जिन्हें कलम जाइगर कहा जाता है, साहित्य, पत्रकारिता और राजनीति में अपने विशिष्ट अवदान के कारण जाने-पहचाने जाते हैं। उन्होंने अपना अध्ययन काल की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी रचनाएँ पढ़ते हुए वो बड़े हुए है।
डॉ० पूनम सिन्हा ने रामवृक्ष बेनीपुरी के जीवन दर्शन पर व्यापक प्रकाश डाला। उन्होंने अपने वक्तव्य में बेनीपुरी के विलक्षण व्यक्तित्व के हर पहलू की चर्चा की।’माटी की मूरत’ के रचार्यता बेनीपुट सतत संघर्षरत रहे । बिहार में समाजवाद के आन्दोलन के अग्रणी प्रथम प्रकल्पक, किसान युवाओं के हृदयों में गुलामी के 1 विलाफ संघर्ष को लहराने वाले, जो न झुके न टूटे।
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के पीजी मानविको संकायाध्यक्ष डॉ. सतीश कु. राय बताते हैं कि बेनीपुरी ने महज 18 वर्ष की उम्र में असहयोग आंदोलन से जुड़कर अपनी दिशा तय कर ली थी । 1921 में उन्होंने तरूण भारत’ के साथ जुड़ कर गुलामी के खिलाफ देश के युवाओं को एकसूत्र में बांधने का प्रयास किया।
डॉ. रामप्रवेश सिंह ने भी बेनीपुरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश दिया और दिनकर तथा फणीश्वर नाथ रेणु की आंचलिकता और लोक संस्कृति से जोड़कर बड़े ही अनूठे ढंग से व्याख्यान को प्रस्तुत किया।
अतिथि के रूप में अपर समाहर्ता लोक शिकायत निवारण, अनुमण्डल पदाधिकारी पश्चिम, वरीय उप समाहर्ता, आपदा एवं विकास, जिला भविष्य निधि पदाधिकारी, उप निर्वाचन पदाधिकारी एवं जिला योजना पदाधिकारी आदि उपस्थित थे। अतीर्थ वक्ता के रूप में डॉ० पूनम सिन्हा, डॉ. रामप्रवेश सिंह, डॉ. रवीन्द्र उपाध्याय, डॉ० संजय पंकज डॉ. सतीश ७० राय उपस्थित थे। वहीं धन्यवाद ज्ञापन और मंच संचालन जिला कला पदाधिकारी सुष्मिता झा द्वारा किया गया।
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