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मुजफ्फरपुर : पार्षद के सामने ही पानी में मिट्टी डालकर हो रहा नाले का निर्माण, वीडियो वायरल

मुजफ्फरपुर : बिहार में नगर निगम अपनी कार्यशैली को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहता है। इस बार मुजफ्फरपुर के वार्ड सात में हो रहे नाला निर्माण को लेकर निगम और वार्ड सात की पार्षद सुषमा देवी चर्चा में हैं। बताया जाता है कि उनके वार्ड अंतर्गत बीबीगंज आनंदपुरी में 54 लाख से नाला का निर्माण हो रहा था। करीब 50-60 मीटर की ढलाई बाकी थी। उसे बीबीगंज कल्वर्ट से जोड़ना था। रविवार को अंतिम फेज की ढलाई हो रही थी। उस वक्त नाला में कमर भर से अधिक पानी था। पार्षद सुषमा भी मौके पर मौजूद थी।

Bihar is amazing The contractor got the drain filled to the waist in water  in front of the councilor video goes viral बिहार गजब है! पार्षद के सामने ही  ठेकेदार ने कमर

ठेकेदार के मिस्त्री और मजदूर आनन-फानन में पानी में ही नाला की ढलाई कर रहे थे। जब इसकी भनक स्थानीय लोगों को लगी तो उनलोगों ने विरोध किया। इसके बाद पार्षद ने स्थानीय लोगों के दबाव में काम को बंद करा दिया। इसकी जानकारी होने पर निगम की ओर से बंदी के बावजूद इंजीनियर ने जांच की और खुद मौके पर खड़ा होकर नाला का निर्माण पूरा कराया। इससे पहले नाला में जमे पानी को मोटर लगाकर बाहर निकलवाया गया।

जब मामला तूल पकड़ा तो पार्षद सुषमा देवी ने बताया कि वह वहां पोल शिफ्टिंग के विवाद को सुलझाने गयी थी। नाला से पोल शिफ्टिंग को लेकर विवाद हो गया था। इस बीच वह लोगों से बातचीत करने लगी। तबतक मजूदर ढलाई करने लगे, जिसका कुछ लोगों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। इसकी जानकारी होते ही तुरंत काम को रोकवा दिया गया। साथ ही, निगम को इसकी सूचना भी दी। इसके बाद सोमवार को इंजीनियर ने मौके पर आकर इसकी जांच की और खुद की निगरानी में नाला की ढलाई पूरी कराई।

 

पार्षद सुषमा ने बताया कि नाला का कुछ हिस्सा ही ढलाई के बच गया था। उसे कल्वर्ट से जोड़ना था। इसको लेकर नाला के दोनों छोड़ को जाम किया गया था। लेकिन, विवाद की वजह से जाम किये गये नाला से पानी रिस कर निर्माणाधीन नाला में आ गया था। वहां पहले से पानी नहीं था। बताया यह भी जाता है कि उसी इलाके में पार्षद का घर भी है।

जानकारी हो कि, बीते माह वार्ड सात के गांधीनगर मोहल्ले की सड़क निर्माण में भी स्थानीय लोगों ने गड़बड़ी पकड़ी थी। शिकायत के बाद नगर आयुक्त ने निर्माण की गुणवत्ता की जांच करायी थी। काम रुकवाकर पुन: सही तरीके से निर्माण का आदेश दिया था। इसके बाद ठेकेदार ने उक्त सड़क का दोबारा निर्माण कराया था। बता दें कि इस सड़क पर बीना ईंट लगाये ही उसकी ढलाई की जा रही थी। मिट्टी पर पॉलीथिन लगाया हुआ था। बाद में ठेकेदार ने ईंट की सोलिंग कराकर गांधीनगर सड़क का निर्माण कराया था।

जानकारी हो कि निर्माण गुणवत्ता को लेकर निगम को लगातार शिकायत मिल रही थी। इसके आलोक में नगर आयुक्त ने सालभर के अंदर हुए सभी प्रकार के निर्माण यानी सड़क, नाला-नाली और पेवर ब्लॉक की जांच का आदेश दिया है। बता दें कि यह निर्माण भी नगर निगम के इंजीनियरों ने ही कराया है और अब निगम के ही इंजीनियर इसकी जांच भी कर रहे हैं।

 

 

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