PATNA : काम्या मिश्रा को बिहार कैडर में एएसपी बनाया गया है. बेहद कम उम्र में बड़ा मु’काम हासिल करने का उनका यह सफर काफी दिलच’स्प है. उन्होंने साल 2019 में ही यूपीएससी की परीक्षा में सफ’लता का परचम लहराया था. देश के सबसे कठि’न परीक्षा माने जाने वाले यूपीएससी परीक्षा में स’फल होने के लिए और सबसे ऊँचे रैंक आईएएस और आईपीएस को हासिल करना देश के लाखों युवाओं का सप’ना होता है.
कठिन माने जाने वाली इस परीक्षा में अभ्यर्थी सफल होने के लिए सालों- सालों भर क’ड़ी मेह’नत करते नहीं थ’कते हैं और बड़े -बड़े फिल्ड और बड़ी-बड़ी डि’ग्रियों के बाद युवाओं का रु’झान इस तरफ हो जाता है. वे 2014 में रीजनल टॉपर भी हुई थी. बचपन से ही वे काफी हो’नहार रही हैं. यही वजह है कि वे अपनी पढ़ाई पूरी करते ही आज यूपीएससी परीक्षा में सफल होकर देश की सेवा कर रही हैं. काम्या मिश्रा उन लाखों युवाओं में से एक हैं जिन्होंने पहली बार में और काफी कम उम्र में यह मु’काम हासिल किया है और एक महिला होने के ना’ते जिसे समाज में आज भी पुलिस की नौकरी करना कठि’न माना जाता है उसे पूरा करने के लि’ए त’त्पर हैं.
पिछले वर्ष ही 5 अप्रैल 2019 को यूपीएससी का रि’जल्ट आया था जिसमें उन्होंने 172 वां रैं’क हासिल किया और काम्या मिश्रा मूल रूप से उड़ीसा की रहने वाली है। उनका मेंस पेपर राजनितिक विज्ञानं रहा था. और वे दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी. वे हिमाचल प्रदेश कैडर से बिहार कैडर में स्थांनांतरित हुई हैं और गृह विभाग के ओर से अधिसू’चना जारी करते हुए 2019 बैच की आईपीएस काम्य मिश्रा को वैशाली जिले का एएसपी बनाया गया है. काम्या यहाँ सहायक पुलिस अधीक्षक के तौर पर कार्य करेंगी.
पिछले साल हिमाचल के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय साल 2019 बैच के 6 ट्रे’नी आईपीएस अफसरों ने मुलाकात किया था जिसमें राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भ्र’ष्टाचार मुक्त सुनहरा समाज बनाये जाने को लेकर यो’गदान देने की अपील की थी. इन अफसरों में काम्या मिश्रा के साथ ही साथ जी’ना अफरोज, अमित यादव,अभिषेक एस, चारु शर्मा और मयंक चौधरी शामिल रहे थे. राज्यपाल ने उन्हें बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना भी की. उन्होंने कहा कि राज्य में का’नून व्य’वस्था बनाये रखने में पुलिस अधिकारी की मह’त्वपूर्ण भू’मिका होती है और इसके साथ ही उन्होंने नि’ष्पक्ष होकर कार्य करने को कहा.
हमारे समाज में जो भी ख़मि’याँ हैं, कुछ तो ख़त्म हुई है और कुछ अरसे से ज’ड़ ज’माये हैं. उनसे दो हाथ करने के लिए निष्प’क्षता और प्रतिब’द्धता होना अनिवार्य हैं. समाज की जि’म्मेदारियाँ लेने और उसके नि’र्वहन किये जाने में हमेशा ही समाज के सोच से ऊपर उठना होता है और स्प’ष्ट तर्क और सु’दृढ़ वि’चारों से ही यह संभव है. वही जिले में शांति व्यवस्था बहा’ल किये जाने और अपरा’धियों में प्रशासन की खौ’फ होने की पूरी जिम्मेदारी पुलिस अधिकारीयों से ही सं’भव है.
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