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चिराग पासवान तो बन गए मंत्री, अब उनके चाचा पशुपति पारस पर टिकी सभी की निगाहें…

पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतृत्व में एनडीए सरकार 3.0 का गठन हो चुका है। मोदी सरकार 3.0 में एनजेपी-आर के अध्यक्ष और हाजीपुर के सांसद चिराग पासवान को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। मंत्रीपद मिलने से चिराग तो सेट हो गए हैं, लेकिन अब उनके चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस पर सभी की निगाहे टिकी हुई हैं। बिहार की सियासी गलियारों में अब यही चर्चा है कि पशुपति पारस का क्या होगा?  बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में भले ही चिराग पासवान की पार्टी को अहमियत देते हुए 5 सीटें दी हों, लेकिन पशुपति पारस को राज्यपाल बनाने का वादा किया था।

 

युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) / X

 

 

जानकारी के मुताबिक, इस साल करीब 8 राज्यों के राज्यपालों का कार्यकाल पूरा हो रहा है. जिन राज्यों में राज्यपाल का कार्यकाल खत्म हो रहा है उसमें उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य से लेकर महाराष्ट्र और नागालैंड तक के गवर्नर शामिल हैं. बिहार से सटे हुए यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का कार्यकाल भी इसी साल समाप्त होने वाला है. वह 2019 से उत्तर प्रदेश राज्य की राज्यपाल हैं, इसलिए शायद ही उन्हें तीसरा कार्यकाल दिया जाए. वहीं नागालैंड के राज्यपाल ला गणेशन और कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत का कार्यकाल भी समाप्त होने की कगार पर है. इनके अलावा गोवा, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के राज्यपाल भी जल्द ही रिटायर होने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि पशुपति पारस को इन्हीं में से किसी एक राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है।

 

उधर अब पासवान परिवार के फिर से एकजुट होने के संकेत मिल रहे हैं. दरअसल, पशुपति पारस ने अपने भतीजे चिराग पासवान के केंद्रीय मंत्री बनने पर सारे गिले-शिकवे भुलाकर उन्हें शुभकामनाएं दीं. इस दौरान उन्होंने चिराग को बड़ा बेटा कहा. पारस ने लिखा कि केंद्रीय मंत्री के रूप में मेरा पूर्व पदभार संभालने पर बड़े बेटे चिराग पासवान को ह्रदयतल से बधाई और अनंत शुभकामनाएं. उन्होंने आगे लिखा कि हमें आशा है कि आप क्षेत्र एवं प्रदेशवासियों के मायूसी और हितों को ध्यान में रखते हुए इस समस्या का त्वरित समाधान करेंगे. जबकि इससे पहले तक चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच अदावत चल रही थी।

 

 

रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी और परिवार दोनों में जबरदस्त टूट हुई थी. 5 सांसदों को लेकर पशुपति पारस अलग हो गए थे. चिराग और पारस दोनों ही अपने-अपने गुट को लीड कर रहे थे. एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले पासवान परिवार को एकजुट करने के तमाम प्रयास किए थे, लेकिन सारे प्रयास असफल साबित हुए थे. एनडीए में रहने के बाद भी पशुपति पारस ने चिराग पासवान और उनके प्रत्याशियों के लिए प्रचार नहीं किया था. हालांकि, अब उन्होंने चिराग को परिवार का बड़ा बेटा कहा है. इससे लगता है कि आने वाले वक्त में परिवार फिर से एक हो जाए।

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