हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। सावन का महीना हिंदू पंचांग का पांचवा महीना होता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करनी चाहिए। सावन के महीने के सोमवार का महत्व और भी अधिक होता है। इस माह में शिव की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने भक्त की मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही सावन के सोमवार व्रत रखने से भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इस साल सावन 21 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है। 19 अगस्त 2024 को सावन मास समाप्त होगा। शास्त्रों में भी सावन मास के महत्व का जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही सोमवार के व्रत का फल शीघ्र मिलता है। सावन मास में भगवान शंकर की पूजा से विवाह आदि में आ रही अड़चनें दूर होने की मान्यता है।
सावन महीने की पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
- शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
- भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
- भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
सावन मास व्रत नियम-
1. मान्यता है कि सावन महीने में मास-मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
2. इस महीने वाद-विवाद से भी बचना चाहिए। घर-परिवार में स्नेह बना रहना चाहिए।
3. सावन महीने में लहसुन और प्याज के सेवन करने की मनाही होती है।
4. इसके अलावा मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि के सेवन की भी मनाही होती है। शास्त्रों में बासी और जले हुए खाने को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है।
5. शास्त्रों के अनुसार, सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। अगर आप व्रत रखने में असमर्थ हैं तो भगवान शिव से माफी मांग कर ना करें।
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