NEW DELHI : लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदा’लत ने बाबरी मस्जि’द विध्वं’स मामले में फै’सला सुनाने की तारीख 30 सितंबर त’य की है। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके यादव इस मामले में फै’सला सुनाएंगे। अदालत ने सभी आरो’पियों को आदे’श की सुन’वाई के लिए उस दिन अदा’लत में मौजूद रहने का निर्दे’श दिया है। इस मामले में पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह, भाजपा नेता एमएम जोशी, उमा भारती और विनय कटियार सहित 32 आरो’पी हैं। तारीख सर्वोच्च न्यायालय के निर्दे’श के अनु’रूप है।
मई 2017 में सीबीआई की विशेष अदा’लत ने भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री उमा भारती और अन्य पर बाबरी मस्जि’द विध्वं’स मामले में आप’राधिक सा’जिश का आरो’प लगाया। चश्मदी’द गवाहों के बया’नों में देरी की वजह से भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह के खि’लाफ आ’रोप त’य करने में देरी के कारण हुई, जिन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया। कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जब 6 दिसंबर 1992 को भी’ड़ ने अयोध्या में बाबरी मस्जि’द को ध्व’स्त कर दिया था।
19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम को’र्ट ने विशेष न्या’याधीश को दो साल के भीतर इसे समाप्त करने का आदेश दिया था। विवा’दित ढां’चे के विध्वं’स को एक अप’राध कहा गया, जिसने “संवि’धान के धर्मनिर’पेक्ष ता’ने-बा’ने” को हि’लाकर रख दिया। शीर्ष अदा’लत ने वीआईपी अभि’युक्तों के खिलाफ आपरा’धिक साजि’श के आ’रोप को बहा’ल करने पर सीबीआई की याचि’का की अनु’मति दी थी। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 फरवरी 2001 के फै’सले को आडवाणी और अन्य के खि’लाफ सा’जिश के आ’रोप को “गल’त” क’रार दिया था।
इस साल की शुरुआत में शीर्ष अदा’लत ने विशेष न्या’याधीश के लिए एक नई समय सीमा तय की, जिसमें उन्हें सितंबर तक फै’सला सुनाने के लिए कहा। शीर्ष अदालत के 2017 के फै’सले से पहले, लखनऊ और रायबरेली में विध्वं’स से संबंधित मामलों के दो सेट थे। “कारसेवकों” से जुड़ा पहला मामला लखनऊ की एक अदा’लत में चला, जबकि रायबरेली की अदा’लत में आठ वीआईपी से संबंधित मामलों के दूसरे सेट पर सुन’वाई की जा रही थी। तब मामलों को क्लब कर दिया गया था।
1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस
6 दिसंबर 1992 को तत्कालीन विवा’दित राम जन्मभूमि क्षेत्र में एक 1,50,000 कारसे’वकों की एक रै’ली का आयोजन किया गया था, जहां बाबरी मस्जि’द खड़ी थी। भाजपा और वीएचपी द्वारा आयोजित रै’ली में आए लोगों ने मस्जिद को ध्व’स्त कर दिया। विध्वं’स सांप्रदा’यिक दं’गों का कारण बना, जिसमें हजारों लोग मा’रे गए।लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जि’द विध्वं’स मामले में फै’सला सुनाने की तारीख 30 सितंबर तय की है। सीबीआई के विशेष न्या’याधीश एसके यादव इस मामले में फै’सला सुनाएंगे। अदा’लत ने सभी आरो’पियों को आदेश की सुनवाई के लिए उस दिन अदा’लत में मौ’जूद रहने का निर्दे’श दिया है। इस मामले में पूर्व डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह, भाजपा नेता एमएम जोशी, उमा भारती और विनय कटियार सहित 32 आरो’पी हैं। तारीख सर्वोच्च न्यायालय के निर्दे’श के अनुरूप है।
बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला?
मई 2017 में सीबीआई की विशेष अदा’लत ने भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय मंत्री उमा भारती और अन्य पर बाबरी मस्जि’द विध्वं’स मामले में आपरा’धिक सा’जिश का आ’रोप लगाया। चश्मदी’द गवा’हों के बया’नों में देरी की वजह से भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह के खि’लाफ आ’रोप त’य करने में दे’री के कारण हुई, जिन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया। कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जब 6 दिसंबर 1992 को भी’ड़ ने अयोध्या में बाबरी मस्जि’द को ध्व’स्त कर दिया था।
19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम को’र्ट ने विशेष न्या’याधीश को दो साल के भीतर इसे समा’प्त करने का आदेश दिया था। विवा’दित ढां’चे के विध्वं’स को एक अप’राध कहा गया, जिसने “संविधान के धर्मनि’रपेक्ष ताने-बाने” को हि’लाकर रख दिया। शीर्ष अदालत ने वीआईपी अभि’युक्तों के खि’लाफ आप’राधिक सा’जिश के आ’रोप को बहा’ल करने पर सीबीआई की याचि’का की अनुम’ति दी थी। शीर्ष अदा’लत ने इलाहाबाद उच्च न्या’यालय के 12 फरवरी 2001 के फै’सले को आडवाणी और अन्य के खि’लाफ सा’जिश के आरोप को “गल’त” करा’र दिया था।
इस साल की शुरुआत में शीर्ष अदा’लत ने विशेष न्या’याधीश के लिए एक नई समय सीमा तय की, जिसमें उन्हें सितंबर तक फै’सला सुनाने के लिए कहा। शीर्ष अदा’लत के 2017 के फैसले से पहले, लखनऊ और रायबरेली में विध्वं’स से संबंधित मामलों के दो सेट थे। “कारसेवकों” से जुड़ा पहला मामला लखनऊ की एक अदा’लत में चला, जबकि रायबरेली की अदा’लत में आठ वीआईपी से संबंधित मामलों के दूसरे सेट पर सुन’वाई की जा रही थी। तब मामलों को क्लब कर दिया गया था।
1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस
6 दिसंबर 1992 को तत्कालीन विवा’दित राम जन्मभूमि क्षेत्र में एक 1,50,000 कारसेवकों की एक रै’ली का आयोजन किया गया था, जहां बाबरी मस्जि’द खड़ी थी। भाजपा और वीएचपी द्वारा आयोजित रै’ली में आए लोगों ने मस्जि’द को ध्व’स्त कर दिया। विध्वं’स सांप्रदा’यिक दं’गों का कारण बना, जिसमें हजारों लोग मा’रे गए।
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