पटना: राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है. इसका उदाहरण बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद पप्पू यादव हैं. लालू यादव के साथ मनभेद के कारण इंडी अलायंस में कल तक पप्पू यादव को कोई पूछ नहीं रहा था. वह महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिए लगातार सबकी मिन्नतें कर रहे थे, लेकिन कहीं से भी कोई उम्मीद नजर नहीं मिल रही थी. पिछले साल जून महीने में “इंडिया” की बैठक में शामिल होने के लिए वह इतने इच्छुक थे कि यहां तक कहा था कि अब किसके हाथ-पैर जोड़ूं।
वहीं आज अचानक से पप्पू यादव इतने जरूरी हो गए कि लालू यादव पुराने गिले-शिकवे भूल गए और उनको कांग्रेस में सेट करवा दिया. पप्पू यादव ने गुरुवार (19 मार्च) की शाम को लालू यादव और तेजस्वी से मुलाकात की और बुधवार (20 मार्च) को पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया. अब इसके पीछे के सियासी कारण को समझते हैं।
राजनीतिक पंडित इसे महागठबंधन की मजबूरी बता रहे हैं. उनका कहना है कि चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार के पलटी मारने से महागठबंधन को जबरदस्त झटका लगा है. दूसरी ओर एनडीए और ज्यादा मजबूत हो गया है. पिछली बार बीजेपी-जेडीयू और लोजपा की तिकड़ी ने महागठबंधन को एक सीट पर समेट दिया है. आज एनडीए में जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी शामिल हैं, जो अपनी बिरादरी पर मजबूत पकड़ रखते हैं. नीतीश कुमार के डैमेज को कंट्रोल करने के लिए लालू यादव अब महागठबंधन का दायरा भी बढ़ाने को सोच रहे हैं. इसी के तहत पप्पू यादव की पार्टी का कांग्रेस में विलय कराया गया है. वहीं कुछ लोग इसे पप्पू यादव की पत्नी और कांग्रेस राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन का प्रयास बता रहे हैं।
पप्पू यादव के कांग्रेस में आने से कोसी और सीमांचल की लड़ाई जबरदस्त हो जाएगी. इस रीजन में पप्पू यादव की अच्छी खासी पकड़ है. इसी रीजन से आने वाले बाहुबली नेता आनंद मोहन का परिवार अब लालू से दूर चला गया है. पप्पू यादव उनकी कमी को पूरा कर सकते हैं. वहीं पप्पू यादव की महत्वाकांक्षाएं भी अधिक नहीं हैं. वह अपने लिए सीमांचल की पूर्णिया लोकसभा सीट चाहते हैं. इस सीट पर हिंदू और मुस्लिम की आबादी 60 और 40 प्रतिशत की है. यहां एमवाई एक निर्णायक फैक्टर रहा है. बीते कुछ चुनावों में पूर्णिया में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है. वर्ष 2019 लोकसभा में कांग्रेस उम्मीदवार उदय सिंह को 3 लाख 69 हजार मत मिले थे. जबकि वर्ष 2014 लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार अमरनाथ तिवारी को 1 लाख 24 हजार मत मिले थे. सियासी जानकारों का कहना है कि पप्पू यादव के आने से महागठबंधन खासकर राजद को काफी फायदा हो सकता है. दरअसल, उनके आने से यादव वोट का बिखराव रुकेगा. पप्पू यादव की सक्रियता के कारण हर वर्ग में उनका जो थोड़ा-बहुत वोट बेस है, पूरे बिहार में इंडिया ब्लॉक को उसका फायदा मिल सकता है।
Be First to Comment