पटना: बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर तारीखों का एलान हो चूका है। इस एलान के बाद तमाम राजनीतिक पार्टी अपने -अपने तरीकों से सीट बंटवारा का फार्मूला तय कर रही है। इसी कड़ी में एनडीए में बिहार के अंदर सीट बंटवारा में पुराने सहयोगी रहे पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं दिया गया है। जिससे वो नाराज हो गए हैं और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में अब इस तमाम मसलों पर भाजपा के सीनियर लीडर और गृह मंत्री अमित शाह का बयान सामने आया है।
अमित शाह ने कहा कि पशुपति पारस से अब समझौते की गुंजाइश कम रह गयी है। ऐसे में अब यह भी कह सकते हैं कि लगभग नहीं के बराबर है। हमने उनको मौका दिया था अगर पूरा परिवार साथ में आता तो ये अच्छा होता। लेकिन, अब उनका निर्णय था और पार्टी के नेतृत्व के तरफ से यह निर्णय लिया गया है। ऐसे में अमित शाह की इस बात का मतलब निकाले तो उनका कहना था कि- पशुपति पारस यदि चिराग पासवान के साथ मिल जाते तो फिर समस्या नहीं होती है। लेकिन, उन्होंने ऐसा नहीं किया और इसी कारण भाजपा ने उनके साथ यह निर्णय लिया है।
वहीं, चुनाव से पहले नीतीश कुमार के साथ आने से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि एक बिहार में हमने तो कभी पलटी नहीं मारी, हम कल जहां थे वहां से आगे ही निकले हैं, पीछे तो गए नहीं। हम जहां थे वहीं थे। हम गंगा किनारे थे और वहीं रहे। वो आकर हमारे साथ मिले रो ये तो उनकी इक्छा हुई तभी संभव हुआ ना।
उधर, जदयू को सीट बंटवारे में 16 सीटें देने के एक सवाल पर अमित शाह ने कहा कि बिहार यूनिट के नेगोशिएशन का ये नतीजा है। उन्होंने कहा कि बिहार में हम पहली बार नीतीश कुमार से अधिक सीटों पर लड़ रहे हैं। भाजपा वहां बड़े भाई की भूमिका में है। ये हमारे लिए बड़ी बात है।अब हम यहां अधिक से अधिक सीट जीतने पर काम कर रहे हैं।
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