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‘हिंदी हैं हमारी शान’ हिंदी दिवस का 14 सितंबर से क्या है कनेक्शन?

हिंदी केंद्र सरकार की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है – दूसरी अंग्रेजी है. यह भारत गणराज्य की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास के साथ-साथ बेहर राजेंद्र सिम्हा के प्रयासों के कारण, हिंदी को दो आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी। दरअसल, यह व्यौहार राजेंद्र सिम्हा के 50वें जन्मदिन पर हुआ था, उनका जन्म 14 सितंबर 1916 को हुआ था. उन्होंने भारत के संविधान की मूल अंतिम पांडुलिपि का चित्रण किया था. हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

Hindi Diwas: देश में हर साल 14 सितंबर को ही मनाया जाता है हिंदी दिवस, जानें  इसके पीछे की वजह और इतिहास - hindi diwas know why every year 14 september is

14 सितंबर को क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस?
हिंदी दिवस का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों तक जाता है. 1918 में, हिंदी विद्वानों और कार्यकर्ताओं के एक समूह ने राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन (हिंदी साहित्य सम्मेलन) का गठन किया. सम्मेलन ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने में प्रमुख भूमिका निभाई।

भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है. 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ। संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी. आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ. लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था। काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया। संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिंदी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. पहला हिंदी दिवस 1953 में मनाया गया था। हिंदी दिवस का महत्व
हिंदी दिवस का उद्देश्य भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उस घटना को याद करना है जब इसे भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था. इसे महात्मा गांधी ने जनमानस की भाषा भी कहा था. बता दें कि चीनी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के अनुसार 70 प्रतिशत चीनी ही मंदारिन बोलते हैं. जबकि भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 78 प्रतिशत दुनिया में 64 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है. जबकि 20 करोड़ लोगों की दूसरी भाषा, और 44 करोड़ लोगों की तीसरी, चौथी या पांचवीं भाषा हिंदी है।

 

 

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