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दही हांडी आज, जानें जन्माष्टमी के बाद क्यों फोड़ी जाती है दही की मटकी

जन्माष्टमी 2023: दही हांडी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन माखन से भरी मटकी फोड़ने का विधान है। श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को याद किया जाता है. दही हांडी का पर्व जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है. इस पर्व को मथुरा, वृंदावन, गोकुल और महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

Krishna Janmashtami 2022: जन्माष्टमी पर क्यों मनाया जाता है दही-हांडी का  पर्व, जानें इसका महत्व और इतिहास

ऐसा माना जाता है कि द्वापर युग में दही हांडी को मनाने की परंपरा थी. दही हांडी की बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन गोविंदाओं की टोली दही से भरी मटकी फोड़ते हैं. इस मटकी को काफी ऊंचाई पर लगाया जाता है. ऐसा माना जाता है इस दिन मटकी फोड़ने से घर में दुख दूर होता है और घर में खुशियों का वास होता है।

श्री कृष्ण की बाल लीलाओं को याद करते हुए इस दही हांडी के पर्व को बड़ी की श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. जिन लोगों ने जन्माष्टमी का पर्व 6 सितंबर के दिन मनाया है वो लोग 7 सितंबर के दिन दही हांडी का पर्व मनाएंगे, वहीं जो लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे वो 8 सितंबर को दही हांडी का पर्व मनाएंगे।

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