पटना: देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं, इसको देखते हुए सभी दलों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी। बिहार में मुस्लिमों को रिझाने के लिए जेडीयू भाईचारा यात्रा शुरू करने जा रही है. ये यात्रा 1 अगस्त से शुरू होगी और 6 सितंबर तक चलेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस यात्रा की जिम्मेवारी पार्टी के एमएलसी खालिद अनवर को दी है। 40 दिनों की यात्रा में बिहार के 26 जिलों में पार्टी के नेता जाएंगे. जेडीयू की ‘भाईचारा यात्रा’ तीन चरणों में पूरे बिहार को कवर करेगी।
यात्रा का पहला चरण 1 अगस्त से शुरू होकर 6 अगस्त तक चलेगा, दूसरा चरण 16 अगस्त से शुरू होकर 22 अगस्त तक चलेगा और तीसरा चरण 28 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर तक चलेगा. जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि भाईचारा यात्रा के माध्यम से मुख्यमंत्री ने जो काम किया है उसे लोगों तक पहुंचाया जाएगा और बीजेपी के धार्मिक उन्माद को लेकर जागरूक किया जाएगा. एमएलसी खालिद अनवर ने कहा कि यह कारवां 40 दिनों का है. यह एक अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर को खत्म होगा और 17 सितंबर को इसका समापन कार्यक्रम होगा. 40 दिनों में यात्रा 26 जिले तक जाएगी।
यात्रा का मकसद भले ही मुस्लिम समाज को ये समझाना हो कि बीजेपी ने उनके साथ कितनी ज्यादती की है, लेकिन जेडीयू की इस पहल ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को टेंशन दे दी है. दरअसल, बिहार के मुस्लिम वोटबैंक पर राजद का अधिकार है. ‘MY’ फैक्टर की वजह से लालू यादव ने 15 साल तक बिहार पर राज किया है. हालांकि, बाद में मुस्लिम वोटबैंक का एक बड़ा तबका नीतीश कुमार के साथ चला गया, जिसकी दम पर बिहार के सिंघासन पर नीतीश कुमार काबिज हैं. एमवाई समीकरण यानी 31 फीसदी वोटबैंक पर मजबूत पकड़ के दावे के बावजूद पिछले 3 लोकसभा चुनावों में राजद का वोट प्रतिशत 20 से 15 प्रतिशत के बीच सिमटा है।
2019 में हुए लोकसभा चुनावों में राजद को एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी. वहीं बिहार विधानसभा चुनाव में 23.11% वोट फीसदी के साथ राजद को 75 सीटें मिली थीं. उसके वोटबैंक में बढ़ोतरी जरूर हुई थी, लेकिन सीटें घट गई थीं. राजद को सीमांचल इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने काफी नुकसान पहुंचाया था. AIMIM ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. उसे 1.24% वोट मिले थे. माना जाता है कि ओवैसी ने राजद के ही वोटबैंक में सेंध लगाई थी।
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