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नीतीश कुमार नाक भी रगड़ लें, तो भी बीजेपी उन्हे स्वीकार नहीं करेगी: सुशील मोदी

पटना: पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने एक बार फिर सीएम नीतीश पर करारा हमला किया है। उन्होने कहा कि नीतीश के लिए बीजेपी के दरवाजे बंद हो गए हैं। अब वो अगर नाक भी रगड़ लें तो इस जन्म में कुछ नहीं होने वाला। सुशील मोदी का ये बयान तब सामने आया है जब हाल ही में जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा था कि जदयू के एक बड़े नेता जरिए नीतीश कुमार बीजेपी के संपर्क में हैं।

नीतीश कुमार नाक भी रगड़ लें, तो भी बीजेपी उन्हे स्वीकार नहीं करेगी, जदयू पर वजूद बचाने का संकट: सुशील मोदी

नीतीश पर सुशील मोदी का हमला
सुशील मोदी ने निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार अपनी नाक भी रगड़ लें तो भी अब इस जन्म में बीजेपी के दरवाजे उनके लिए फिर से नहीं खुलने वाले हैं। वो एक नहीं बल्कि दो बार बीजेपी को धोखा दे चुके हैं। अब बीजेपी और धोखा नहीं खाना चाहती है। आपको बता दें प्रशांत ने हाल ही मे दिए गए अपने बयान में कहा था कि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के माध्यम से नीतीश कुमार फिर से बीजेपी के संपर्क में हैं।  हरिवंश जदयू के कोटे से ही राज्यसभा सांसद हैं।

इस मामले में प्रशांत किशोर ने बीते साल ट्वीट भी किया था और लिखा था कि नीतीश कुमार जी अगर बीजेपी और एनडीए से आपका कुछ भी लेना देना नहीं है तो अपने सांसद से राज्यसभा के उपसभापति का पद छोड़ने के लिए कहें. आप हर समय दोनों तरीके नहीं रख सकते हैं।

NCP में विद्रोह के लिए विपक्षी एकता जिम्मेदार
लेकिन सुशील मोदी प्रशांत किशोर की अटकलों पर विराम लगा दिया है। इससे पहले मोदी ने नीतीश की विपक्षी एकता की मुहिम पर तंज कसते हुए कहा था कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी में जो विद्रोह हुआ है, उसकी वजह विपक्षी एकता है। और ऐसा बिहार में भी हो सकता है। मोदी ने कहा कि बिहार में भी महाराष्ट्र-जैसी स्थिति बन सकती है, इसे भांप कर नीतीश कुमार ने विधायकों से अलग-अलग बात करना शुरू कर दिया। जदयू के विधायक-सांसद न राहुल गांधी को स्वीकार करेंगे, न तेजस्वी यादव को। ऐसे में पार्टी में भगदड़ की आशंका है।

जदयू पर वजूद बचाने का संकट
मोदी ने कहा कि जदयू पर वजूद बचाने का ऐसा संकट पहले कभी नहीं था, इसलिए नीतीश कुमार ने 13 साल में कभी विधायकों को नहीं पूछा। आज वे हरेक से अलग से मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जदयू यदि महागठबंधन में रहा, तो टिकट बंटवारें में उसके हिस्से लोकसभा की 10 से ज्यादा सीट नहीं आएगी और कई सांसदों पर बेटिकट होने की तलवार लटकती रहेगी। यह भी विद्रोह का कारण बन सकता है।

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