मोतिहारी: जिले में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत 24 मार्च से 13 अप्रैल तक सघन यक्ष्मा जागरूकता एवं खोज अभियान चलाया गया। जिसके तहत जिले के 27 प्रखंडों के संभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा 3845 घरों के 19,472 लोगों से मिलकर टीबी के लक्षणों के बारे में पूछताछ की गई। इस दौरान 874 लोगों की बलगम की जाँच की गई जहाँ 36 टीबी के नए मरीज मिले हैं।
इस संबंध में जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रंजीत राय ने बताया कि विभागीय निर्देश मिलने पर आगे भी यह अभियान चलाया जाएगा। ताकि टीबी के छुपे हुए मरीज चिह्नित हो सकें, औऱ टीबी के बारे में लोग जागरूक हो सकें। उन्होंने बताया कि देश सहित राज्य एवं जिले को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है। उन्होंने बताया कि इसके लिए लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है। डॉ राय ने कहा कि टीबी के मरीजों की असावधानी टीबी के रोगियों की संख्या बढ़ाने का काम करती है। टीबी के रोगियों को पूरी तरह से ठीक होने तक नियमित रूप से दवा का सेवन करना चाहिए ताकि टीबी जड़ से खत्म हो सके।
लक्षणों को न करें नजरअंदाज, समय पर जाँच व इलाज जरूरी:
सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि टीबी एक गंभीर बीमारी है। इसके शुरुआती लक्षणों को भूल कर भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि टयूबरक्लोसिस नामक एक जीवाणु के कारण टीबी होता है। टीबी विश्व की सबसे बड़ी जानलेवा बीमारियों में से एक है। इसके लक्षण दिखने पर तुरंत सरकारी अस्पताल में जांच कराएं। टीबी के लक्षणों को छुपाना खतरनाक हो सकता है। टीबी संक्रमित व्यक्ति का समय पर सही इलाज होना आवश्यक है। मुख्य तौर पर फेफड़ों में टीबी का संक्रमण ज्यादा गंभीर होता है। टीबी से बचने के लिए प्रोटीन तथा विटामिन से भरपूर भोज्य पदार्थ जैसे रोटी, पनीर, दही, दूध, फल, हरी सब्जी, दाल, अंडा, मछली का सेवन करें। सही इलाज व दवाओँ के सेवन से टीबी ठीक हो जाता है। वहीँ इलाजरत होने पर दवा को बीच में नहीं छोड़ा जाना चाहिए अन्यथा यह गंभीर हो जाता है।
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